
बांग्लादेश की छात्र राजनीति में एक बड़ा उलटफेर हुआ है। 35 साल के प्रतिबंध के बाद इस्लामी छात्र शिबिर (ICS) ने जहांगीरनगर यूनिवर्सिटी के केंद्रीय छात्र संघ चुनाव (JUCSU) में ज़बरदस्त जीत दर्ज की है। ICS ने 25 में से 20 सीटें अपने नाम कीं — यह जीत किसी वापसी से कम नहीं है!
ढाका यूनिवर्सिटी के बाद अब JU में भी ICS का जलवा
पिछले हफ्ते ही ICS ने ढाका यूनिवर्सिटी के चुनाव में भी जीत दर्ज की थी, और अब JU की ये सफलता बताती है कि छात्र राजनीति में एक नया ट्रेंड सेट हो चुका है। लंबे समय तक बैन में रहने के बाद इस संगठन की वापसी सभी को चौंका रही है।
BNP और BCL दोनों रहे फ्लॉप
बीएनपी की छात्र इकाई JCD इस चुनाव में एक भी सीट नहीं जीत सकी, जबकि अवामी लीग की छात्र इकाई BCL पहले से ही बैन है। पिछले साल अंतरिम सरकार ने BCL को “आतंकी संगठन” करार देकर चुनाव से बाहर कर दिया था। ऐसे में माना जा रहा था कि JCD को फायदा मिलेगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।
SAD Panel की उम्मीदों पर भी पानी फिरा
वहीं, पिछले साल सरकार विरोधी आंदोलनों की अगुवाई करने वाले Students Against Discrimination (SAD) पैनल को भी केवल 2 सीटें मिलीं। SAD को युवाओं का समर्थन मिलने की उम्मीद थी, लेकिन ICS की ज़मीन पर पकड़ भारी पड़ी।

क्या बदल रही है बांग्लादेश की छात्र राजनीति?
इस चुनाव के नतीजे संकेत दे रहे हैं कि बांग्लादेश की छात्र राजनीति एक बड़े बदलाव की ओर बढ़ रही है। जहां एक ओर पुराने संगठनों का दबदबा खत्म हो रहा है, वहीं पहले प्रतिबंधित संगठन जनता और छात्रों के बीच फिर से जगह बना रहे हैं।
वापसी सिर्फ राजनीति नहीं, रणनीति की जीत भी है
ICS की ये जीत महज़ सीटों की नहीं, एक राजनीतिक रणनीति की सफलता भी है। अब देखना होगा कि बांग्लादेश की मुख्यधारा राजनीति में इसका कितना और कैसे असर पड़ेगा।
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