
असम में चुनावी मौसम गरम है, और हिमंत बिस्वा सरमा अपने बयानों से तापमान और भी बढ़ा रहे हैं। “राहुल गांधी भारत के साथ नहीं, बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसी सोच के साथ हैं।”
— यह लाइन सरमा ने तामुलपुर में BJP की रैली में बोली, और फिर ट्विटर (या कहें अब ‘X’) पर थियेटर शुरू हो गया।
बीटीआर चुनाव से पहले “देशद्रोही” का कार्ड खेला गया?
बीटीआर यानी बोडोलैंड प्रादेशिक क्षेत्र, जहाँ सितंबर में चुनाव होने हैं — वहां BJP पूरी ताक़त झोंक चुकी है।
“प्रगतिशील बीटीआर के लिए भाजपा” नाम से शुरू हुए इस अभियान में सरमा अब नैरेटिव सेट कर रहे हैं:
राहुल गांधी = कांग्रेस = अतिक्रमणकारियों के साथ = देशद्रोह!
BJP के प्रवक्ता रंजीत शर्मा ने कहा:
“कांग्रेस की अतिक्रमणकारी नीति से असम का लोकल समुदाय त्रस्त है। हम उसे खत्म करने आए हैं।”
माने, जो जमीन पर बैठे हैं, उन्हें उखाड़ फेंको — और वोट बैंक की जड़ें मजबूत करो।
राहुल गांधी क्यों बार-बार BJP के ‘पंचिंग बैग’ बनते हैं?
BJP को जब भी नैरेटिव बदलना हो, एक स्टेप गाइड है:
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राहुल गांधी को पाकिस्तान से जोड़ो
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उनकी ‘मानसिकता’ को बांग्लादेशी बताओ
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फिर बोलो कि कांग्रेस देशद्रोही है
और, झंडा गाड़ दो — वोटर खुद ही “राष्ट्रवाद मोड” में चला जाएगा।
सरमा की सियासत: Bulldozer + Bodo + Bharat Mata = Winning Formula?
बीटीआर में BJP की पिच क्लियर है:
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अवैध अतिक्रमण हटाओ
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“मजबूत शासन” लाओ
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और वोट पाओ!
रोडशो से लेकर रैलियों तक, सरमा ने बीटीआर को “लोकल अधिकार बनाम घुसपैठ” का युद्धक्षेत्र बना दिया है। हास्य कलाकार बुलबुल शर्मा और कुछ सिविल राइट्स ग्रुप्स भी उनका खुलकर समर्थन कर रहे हैं।
राहुल गांधी—देश के सबसे बड़े “International Thinker”?
राहुल गांधी से BJP को एक ही शिकायत है—वो सोचते बहुत हैं, वो भी ग्लोबली!
जब भारत में चुनाव होते हैं, राहुल गांधी की “वैश्विक सोच” उन्हें भारत में “anti-national” बना देती है।
BJP का संदेश साफ है:
“सोचना छोड़ो, राष्ट्रवाद अपनाओ!”
असम में चुनाव से पहले ‘सोच’ पर चल रही है राजनीति
BJP चाहती है कि बीटीआर चुनाव “विकास बनाम घुसपैठ” पर लड़ा जाए। कांग्रेस अब भी डिफेंसिव है — न राहुल गांधी सफाई दे रहे, न पार्टी काउंटर कर रही।
और जनता?
जनता सोच रही है कि चुनावी घोषणाएं सुनें या राजनीतिक फायरवर्क्स का मजा लें!
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