हागिया सोफिया: चर्च से मस्जिद, फिर म्यूज़ियम और फिर मस्जिद

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

तुर्की के इस्तांबुल शहर में स्थित हागिया सोफिया (या आयासोफ़िया) सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि इतिहास का चलता-फिरता म्यूज़ियम है। कभी चर्च, कभी मस्जिद, फिर म्यूज़ियम और अब फिर मस्जिद – इसका सफर ही इसकी खासियत है।

बीजान्टिन काल का चमत्कार

हागिया सोफिया का निर्माण रोमन सम्राट जस्टिनियन प्रथम ने करवाया था, और यह 537 ईस्वी में बनकर तैयार हुआ। उस वक्त यह दुनिया का सबसे बड़ा गुम्बद वाला इमारत थी, और वास्तुकला की दुनिया में इसने नया युग शुरू किया।

डोम (गुंबद) का व्यास 31 मीटर और ऊंचाई 56 मीटर है, जो आज भी दर्शकों को हैरान कर देता है।

उस्मानियों ने चर्च को बनाया मस्जिद

1453 में कॉन्स्टेंटिनोपल की विजय के बाद उस्मान साम्राज्य ने इस चर्च को मस्जिद में तब्दील कर दिया। मीनारें, मिम्बर और मिहराब जैसे इस्लामिक वास्तु-तत्व जोड़े गए। मशहूर वास्तुकार सिनान ने इसकी मरम्मत और विस्तार में अहम भूमिका निभाई।

सुल्तान अहमद मस्जिद और सुलैमान मस्जिद जैसी कई उस्मानी मस्जिदें, हागिया सोफिया से प्रेरित हैं।

अतातुर्क युग में म्यूज़ियम बना

1935 में मुस्तफा कमाल अतातुर्क ने इसे एक धार्मिक नहीं, सांस्कृतिक स्थल घोषित करते हुए म्यूज़ियम में बदल दिया। इस कदम को तुर्की के धर्मनिरपेक्ष भविष्य की ओर एक क्रांतिकारी कदम माना गया।

फिर से मस्जिद – 2020 में ऐतिहासिक वापसी

जुलाई 2020 में तुर्की की सर्वोच्च अदालत ने म्यूज़ियम की वैधता रद्द कर दी और राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोआन ने इसे फिर से मस्जिद घोषित कर दिया।

अब यह एक प्रार्थना स्थल है लेकिन सभी धर्मों के पर्यटक भी इसमें प्रवेश कर सकते हैं, जैसे पहले संग्रहालय के समय में था।

पर्यटन का केंद्र और आस्था का प्रतीक

हागिया सोफिया अब भी इस्तांबुल आने वाले पर्यटकों की पहली पसंद है। यहां का मोज़ेक आर्ट, वास्तुकला और ऐतिहासिक परतें लोगों को अतीत में ले जाती हैं।

इस्तांबुल के फ़ातिह तेरिम स्टेडियम में मैच देखने आने वाले भी अक्सर हागिया सोफिया जरूर जाते हैं।

एक जगह, कई पहचान

हागिया सोफिया ने ये सिखाया कि इमारतें सिर्फ पत्थर नहीं होतीं — वे समय, सत्ता, संस्कृति और आस्था के गवाह होती हैं। चाहे चर्च रही हो, मस्जिद बनी हो या म्यूज़ियम – इसने हर दौर को सहेजा है।

इतिहास में दिलचस्पी हो या आस्था की तलाश – हागिया सोफिया आपको खाली हाथ नहीं लौटने देती।

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