
टोनी स्टार्क और कैप्टन अमेरिका तक अपने मतभेद भुला कर साथ आ जाते हैं, पर भारत के नेताओं से उम्मीद मत रखना भाई, ये तो चप्पल उल्टी देखकर भी सिद्धांत बना देते हैं।
कबाड़ में कमाल! पुराना लैपटॉप अब स्टार्टअप का हॉटस्टार
सभ्यता का ढोल और सदीयों की थाली – बस दिखावा है बाबू!
भारत की राजनीति खुद को ‘हजारों साल पुरानी सभ्यता’ का उत्तराधिकारी बताती है, पर संसद के अंदर का हंगामा देखो तो लगता है जैसे गुलाबो-सिताबो का सेट संसद भवन में शिफ्ट हो गया है।
सभ्य हैं, इसलिए बस लाठी मारते हैं – मुंह से नहीं, संसद में!
राहुल गांधी बनाम मोदी: मार्वल में होते तो Avengers Assemble हो चुका होता!
Marvel वाले ‘थैनोस’ से लड़ गए, और ये लोग ‘थाली किसने बजाई’, ‘कैमरा किसका था’, ‘राहुल की दाढ़ी कितनी बड़ी’ जैसे मुद्दों में उलझे हैं।
राहुल और मोदी अगर मार्वल यूनिवर्स में होते तो Infinity War अभी तक प्रेस कॉन्फ्रेंस में अटका होता।
राजनीति या चप्पल युद्ध?
आज की राजनीति ऐसी हो गई है जैसे किसी मोहल्ले में गुलाबो सिताबो चप्पल उल्टी देख लड़ बैठे हों:
“तुमने मेरी थाली क्यों देखी?”
“तुमने मेरी प्रेस कांफ्रेंस क्यों कॉपी की?”
“तुमने झाड़ू मेरे एरिया में क्यों चलाई?”
“तुमने बकरीद की पोस्ट पर हार्ट क्यों नहीं लगाया?”
अब तो देश के नाम पर ही एक हो जाओ…
राहुल हों या मोदी, ममता हों या शाह — एक चीज़ है जो इन सबको जोड़ सकती है:
“देश”
लेकिन अफ़सोस, देश सिर्फ भाषण में आता है,
बाकी टाइम फोल्डर में फोटोशॉप वाली तस्वीरें और ट्विटर पर ट्रेंडिंग हैशटैग।
राजनीति आज Marvel से भी बड़ी स्क्रिप्ट बन चुकी है — फर्क सिर्फ इतना है कि Marvel में Endgame के बाद साथी बनते हैं, और भारत में चुनाव जीतते ही दुश्मन!
काश, राजनीति में भी ‘Avengers Assemble’ जैसा कोई मोमेंट होता — जहाँ नेता नारे छोड़कर राष्ट्र के लिए हाथ मिलाते। अभी तो सबको सिर्फ कैमरा और कमेंट चाहिए।
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