गोरखपुर में भव्य विजयदशमी शोभायात्रा, राजतिलक और कन्या पूजन

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

शारदीय नवरात्र की महानवमी (1 अक्टूबर) से लेकर विजयदशमी (2 अक्टूबर) तक गोरखपुर का गोरखनाथ मंदिर एक बार फिर बनेगा धर्म, परंपरा और आस्था का जीवंत केंद्र।
गोरक्षपीठाधीश्वर और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस पावन अवसर पर कन्या पूजन, शोभायात्रा, पात्र पूजा और श्रीराम के राजतिलक जैसे विशिष्ट धार्मिक अनुष्ठानों का नेतृत्व करेंगे।

1 अक्टूबर – महानवमी पर कन्या पूजन और मातृशक्ति को नमन

महानवमी (बुधवार) को सुबह 11 बजे, गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ कन्याओं के चरण धोकर मातृशक्ति के सम्मान और सनातन परंपरा की गौरवगाथा को जीवंत करेंगे।
यह आयोजन नारी शक्ति के प्रति श्रद्धा और सनातन संस्कृति की जीवंत मिसाल बनकर जनमानस को सशक्त संदेश देगा।

2 अक्टूबर – विजयदशमी पर परंपरा, पूजन और पवित्रता का संगम

सुबह 9:20 बजे – गुरु गोरखनाथ का विशिष्ट पूजन

गोरक्षपीठ के धर्माधिकारी द्वारा गुरु गोरखनाथ जी, श्रीनाथ जी, और समस्त देव विग्रहों का पूजन किया जाएगा।

1:00 बजे से 3:00 बजे – तिलकोत्सव

इस अवसर पर गोरक्षपीठाधीश्वर का तिलक समारोह होगा, जिसमें वे भक्तों को आशीर्वाद देंगे। यह परंपरा नाथ संप्रदाय की विशेष सांस्कृतिक धरोहर है।

4:00 बजे – भव्य शोभायात्रा की शुरुआत

तुरही, नगाड़ों और बैंड-बाजों की गूंज के बीच गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ, गुरु गोरक्षनाथ का आशीर्वाद लेकर रथ पर सवार होंगे
शोभायात्रा मानसरोवर मंदिर पहुंचेगी, जहां देव विग्रहों की पूजा-अर्चना और अभिषेक होगा।

मानसरोवर रामलीला मैदान में होगा श्रीराम का राजतिलक

रामलीला मैदान में चल रही लीलाओं के बीच योगी आदित्यनाथ स्वयं श्रीराम का राजतिलक, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमानजी की पूजा कर आरती उतारेंगे
यह आयोजन विजयदशमी की सार्थकता को चरम पर ले जाएगा – “सत्य की विजय और धर्म की पुनर्स्थापना” का उत्सव।

7:00 बजे – सर्व समाज के लिए पारंपरिक प्रसाद

गोरखनाथ मंदिर परिसर में दिग्विजयनाथ स्मृति भवन के सामने होगा प्रसाद वितरण, जिसमें बिना किसी भेदभाव के हर जाति, वर्ग, धर्म के लोग भाग लेंगे।
यह भोज, समरसता का सजीव उदाहरण बनता है, जहां “सब एक समान” का भाव सच में देखने को मिलता है।

पात्र पूजा – नाथपंथ की गूढ़ परंपरा

विजयदशमी पर गोरखनाथ मंदिर में योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में पात्र पूजा का भी आयोजन होगा। यह परंपरा नाथपंथ की आध्यात्मिक गहराई को दर्शाती है, जिसमें आध्यात्मिक पात्रों की पूजा कर धर्म-बल की स्थापना होती है।

“परंपरा को निभाना, ही असली विजय है”

गोरखनाथ मंदिर के ये आयोजन न सिर्फ धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति, सनातन परंपरा और सामाजिक समरसता के अद्भुत संगम भी हैं।
योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में ये परंपराएं सिर्फ निभाई नहीं जा रहीं, बल्कि नई पीढ़ी को धर्म, संस्कृति और कर्तव्य का पाठ पढ़ा रही हैं।

जब ग्रहों ने खेला गेम – श्रीराम जीते, रावण हारे!

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