
दुनिया की राजनीति एक ऐसे बुफ़े की तरह बन गई है जिसमें कोई एक प्लेट में बिरयानी भी है, खिचड़ी भी, और पास्ता भी! और इस थाली का सबसे उलझा हुआ हिस्सा है — पाकिस्तान के रिश्तों की खिचड़ी।
एक तरफ पाकिस्तान है जो ईरान से दोस्ती जताता है, दूसरी तरफ इज़राइल से नफ़रत करता है, जबकि अमेरिका इज़राइल का दोस्त और ईरान का दुश्मन है — और वही अमेरिका पाकिस्तान को भी कभी “माय बाप” कहा जाता है।
फिर आता है चीन — पाकिस्तान का सबसे वफादार दोस्त — लेकिन वही चीन अपने उइगर मुस्लिमों को दबाता है, और पाकिस्तान चुप रहता है, जबकि फलिस्तीन और भारत के मुसलमानों के लिए आवाज़ उठाता है।
आख़िर ये चालें हैं या चालाकियाँ?
ये रणनीति है या सिर्फ “सबको खुश करने की कोशिश”?
इस लेख में हम इसी “रिश्तों की खिचड़ी” का स्वाद चखेंगे।
1. “पाकिस्तान–चीन” — सच्चे दोस्त या हितों के साथी?
रणनीतिक बंधुत्व — चीन पाक को आर्थिक और सैन्य रूप से तगड़ा सहयोग देता है (CPEC, रक्षा उपकरण) क्योंकि उसे भारत–पाक तनाव में पाकिस्तान एक “स्ट्रेटेजिक बैलेन्स” लगता है।
पाक के लिए लाभ — आर्थिक मदद, सुरक्षा कवच, और चीन की तवज्जो पाकिस्तान के लिए ग़ज़ब का ‘संबल’ है।
2. “अमेरिका–पाकिस्तान” — दोस्ती या Convenience की गठरी?
अमेरिका–पाकिस्तान का रिश्ता कई स्तरों पर विकसित और टूटता रहा है— Cold War से War on Terror तक।
जितना अमेरिका को पाकिस्तान “माय‑बाप” कहता आया, उतनी ही नाराज़गी भी रही—यह रिश्ते का आधार नहीं, बल्कि जरूरतों का हिस्सा है।
3. “इरान–इजरायल–अमेरिका” की दुश्मनी — क्षेत्रीय टकराव के चक्र
इरान vs इजरायल: क्षेत्रीय वर्चस्व, धार्मिक-राजनीतिक अंतर्वाद और परमाणु चिंताओं से टकराव।
अमेरिका–इजरायल दोस्ती: अमेरिकी पॉलिसी में इज़राइल को “मेंडोसीडीय वॉरियर्स” के रूप में देखा जाता है—इरान के खिलाफ एक संतुलन के रूप में।
इस रिश्तों की चेन में पाकिस्तान कहीं विदेशी एजेंडों में फँसा हुआ लगता है, खासकर जब यह कहते हैं: “पाकिस्तान इरान का दोस्त है, लेकिन उइगर की बात भूल जाता है।”

4. “भारत के मुस्लिम = पाकिस्तान के अपने”? ना, ये थोड़ा Oversimplification
भारत के मुस्लिम और फलिस्तान (फिलिस्तीन) के मुसलमान एक भावनात्मक जुड़ाव महसूस कर सकते हैं।
लेकिन पाकिस्तान और उइगर: राजनीतिक दृष्टिकोण से, चीन के प्रति पाकिस्तान की जिम्मेदारियों के चलते यह मुद्दा—पर दब कर रह जाता है।
ये “खिचड़ी” क्यों बन गई है?
विभिन्न शक्तियाँ—अमेरिका, चीन, इजरायल, इरान—सब किसी न किसी वजह से पाकिस्तान को अपनी नीति की ‘चुक्की’ में ला रहे हैं।
पाकिस्तान खुद को “संतुलनकारी” बना कर रखता है, पर कई बार ये समानांतर हित उलझन में बदलते हैं।
इसलिए यह खिचड़ी—शायद मज़ेदार लगे—लेकिन भीतर बहुत गंभीर और उलझी हुई है।
और अंत में :
Pakistan और उसके रणनीतिक दोस्त: चीन (सशस्त्र–आर्थिक साझेदारी)
“माय‑बाप” दोस्त अमेरिका: जब तक ज़रूरत, तब तक दोस्त
इरान और इज़राइल में दुश्मनी, अमेरिका–इजरायल में गठबंधन
उइगर मसला उठाएँ, तो चीन से दोस्ती पर सवाल—यहां खिचड़ी होती है।