
अमेरिका के लुसियाना राज्य से एक ऐसी खबर आई है जो ‘अप्रवासन माफिया’ पर बनी किसी वेबसीरीज़ का ट्रेलर लगती है।
मुख्य किरदार: चंद्रकांत लाला पटेल – बिजनेसमैन बाय प्रोफेशन, एफ.आई.आर. मर्चेंट बाय पैशन।
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एफ.आई.आर. ऑन सेल! ऑफर – ग्रीन कार्ड फ्री
पिछले 10 सालों से चंद्रकांत पटेल ने चार भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर झूठी एफ.आई.आर. लिखवाई।
क्राइम? नहीं था।
विक्टिम? भारत से इम्पोर्टेड।
पैसे? हर एफ.आई.आर. पर $5,000 की चांदी।
और फिर इस झूठी एफ.आई.आर. के सहारे यू-वीसा मिलता, फिर ग्रीन कार्ड, फिर “मेरे देश की धरती” सिर्फ गूगल मैप पर।
यू-वीसा या ‘यू-फाइंड-द-शॉर्टकट’ वीज़ा?
अमेरिकी यू-वीसा उन लोगों के लिए होता है जो गंभीर अपराधों के पीड़ित होते हैं। लेकिन यहां तो “क्राइम इन्वेंट करो, एफ.आई.आर. बनाओ, और टिकट कटाओ।”
इसमें कुछ एफ.आई.आर. तो ऐसे थे जिनमें क्राइम हुआ ही नहीं!
सिर्फ कागज़ों पर अपराध, और प्लेन में यात्रा।
पुलिस वाले और उनकी बीवियाँ – बोनस कास्टिंग
इस घोटाले में लुसियाना के चार दरोगा और उनकी पत्नियाँ भी शामिल थीं — मतलब ‘फैमिली क्राइम ड्रामा’ की पूरी स्टारकास्ट!
पुलिस वाले रिश्वत लेते और नाम डालते — जैसे रेस्टोरेंट में ऑर्डर ले रहे हों।
“सर, विक्टिम चाहिए या रिलेटिव ऑफ विक्टिम?”
पटेल पकड़ा कैसे गया?
हर बड़ी फिल्म की तरह, क्लाइमेक्स में एक ईमानदार पुलिस चीफ आता है — जो रिश्वत लेने से इनकार कर देता है। बस वही plot twist बना चंद्रकांत पटेल की गिरफ्तारी का कारण।
अब जांच चल रही है कि कितने ‘FIR-स्पॉन्सर्ड’ नागरिक अमेरिका में छुपे बैठे हैं?
अब कूटनीति नहीं, कूट-नीति से ही अमेरिका जाना संभव!
जब लोग मेहनत करके TOEFL और H1B का फॉर्म भर रहे थे, तब पटेल जी बोले — “भाई, एफ.आई.आर. लिखवा लो, पासपोर्ट अपने आप आ जाएगा!”
अब बस देखना है, क्या इस ‘अपराध यात्रा योजना’ पर कोई बायोपिक भी बनती है या Netflix exclusive मिलती है?
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