
इस्लामाबाद से एक बड़ी सैन्य और राजनीतिक खबर सामने आई है। पाकिस्तान की सरकार ने मौजूदा सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल का रुतबा देने का फ़ैसला किया है। इसके साथ ही एयर चीफ़ मार्शल ज़हीर अहमद बाबर सिद्धू को भी उनके कार्यकाल के बाद भी सेवा में बनाए रखने का निर्णय लिया गया है।
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यह अहम फ़ैसला प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में लिया गया, जिसके बाद पूरे पाकिस्तान में सैन्य हलकों में हलचल तेज़ हो गई है।
रणनीति या सियासत?
प्रधानमंत्री कार्यालय की प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक,
“जनरल आसिम मुनीर को यह पदोन्नति उनके बहादुर नेतृत्व, रणनीतिक सोच और भारत के ख़िलाफ़ सैन्य अभियानों में निभाई गई अहम भूमिका के लिए दी गई है।”
इस बयान ने एक बार फिर भारत-पाक रिश्तों में “रणनीतिक रस्साकशी” की ओर इशारा कर दिया है।
राष्ट्रपति से पहले लिया भरोसा
कैबिनेट के फैसले से पहले प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से मुलाकात की और उन्हें इस ऐतिहासिक निर्णय पर भरोसे में लिया। इससे यह साफ होता है कि यह कोई साधारण पदोन्नति नहीं, बल्कि उच्च स्तर की राजनीतिक सहमति के बाद लिया गया फ़ैसला है।
जनरल मुनीर की प्रतिक्रिया
इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए जनरल आसिम मुनीर ने कहा:

“मैं यह सम्मान पूरे देश, पाकिस्तान की सशस्त्र सेनाओं, विशेषकर नागरिक और सैन्य शहीदों और दिग्गजों को समर्पित करता हूं।”
“मैं राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल का आभार प्रकट करता हूं।”
क्या कहते हैं जानकार?
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सैन्य विश्लेषकों का मानना है कि यह निर्णय सेना के भीतर और बाहर जनरल मुनीर की पकड़ को और मजबूत करता है।
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वहीं राजनीतिक विश्लेषक इसे आगामी चुनावों और आंतरिक सत्ता समीकरणों से जोड़कर देख रहे हैं।
भारत पर रणनीति का ज़िक्र क्यों?
यह सबसे चौंकाने वाली बात रही कि पदोन्नति के कारणों में भारत के खिलाफ रणनीति को विशेष रूप से उजागर किया गया। इससे दोनों देशों के बीच पहले से ही तनावपूर्ण माहौल में नया आयाम जुड़ता दिख रहा है।
जहां एक ओर पाकिस्तान आर्थिक और राजनीतिक संकटों से जूझ रहा है, वहीं दूसरी ओर सैन्य नेतृत्व को “महिमामंडित” कर एक नया नैरेटिव गढ़ने की कोशिश की जा रही है। अब देखना यह है कि क्या यह ‘फील्ड मार्शल प्रमोशन’ पाकिस्तान की ज़मीनी हकीकत बदल पाएगा या फिर यह सिर्फ एक सियासी मास्टरस्ट्रोक बनकर रह जाएगा?
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