
मुंबई के एक आलीशान होटल में अचानक सीएम देवेंद्र फडणवीस और एमएनएस प्रमुख राज ठाकरे की मुलाकात हुई। होटल वालों को लगा VIP लोग चाय पीने आए हैं, लेकिन राजनीति के जानकारों को लगा ‘चाय में कुछ काला है’।
रायबरेली में मंत्री बोले – ‘सिंदूर ना देखल, त ऑपरेशन सिंदूर पे काहे बोले?’”
मीटिंग में क्या बात हुई? कोई नहीं जानता, लेकिन सबको अंदाज़ा है!
सूत्रों के अनुसार इस “गुप्त नहीं, लेकिन सार्वजनिक रूप से गुप्त” मुलाकात में शामिल थे:
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मोहित कंबोज (बीजेपी के चाणक्य-समान युवा)
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बाला नांदगांवकर और अन्य MNS के ‘दूध में शक्कर’ नेता
दो घंटे की मुलाकात में राज ठाकरे ने चाय कम और 132 सीटों पर ज्यादा उबाल देखा।
“132 सीटें बीजेपी को? हमारे वोट भी शर्मा गए!”
राज ठाकरे चुनाव नतीजों से संतुष्ट नहीं हैं। उनका कहना है:
“कुछ विजयी प्रत्याशियों ने खुद कहा, ‘हमें नहीं पता हम कैसे जीत गए!'”
मतलब – अब जीत के बाद भी लोग “सॉरी” बोल रहे हैं।
BMC चुनाव: प्लंबिंग से पहले पाईपलाइन सेट!
विश्लेषक मानते हैं कि ये मुलाकात आगामी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव को लेकर थी। बीजेपी और MNS दोनों ही मराठी मानुष और हिंदुत्व कार्ड पर एक साथ बैटिंग करने की सोच रहे हैं। क्योंकि इस बार विपक्ष भी ‘बिछे हुए विकेट’ पर बाउंसर मार सकता है।
उद्धव-राज सुलह: क्या ‘ठाकरे यूनियन’ बनने वाली है?
2006 में अलग हुए ठाकरे भाई 2025 में फिर से हाथ मिलाने की तैयारी में हैं। राज ठाकरे ने महेश मांजरेकर के पॉडकास्ट में कहा था:
“अगर उद्धव तैयार हैं, तो मैं भी। झगड़े छोटे थे, मुद्दा बड़ा है – महाराष्ट्र!”
बीजेपी को यह सुलह वैसी ही लग रही है जैसे मैच से पहले अंपायर और बैट्समैन की गुप्त बातचीत।
फडणवीस का मास्टरस्ट्रोक या राज की अगली स्क्रिप्ट?
जब बीजेपी कहती है कि मुलाकात “गैर-राजनीतिक” थी, तो ठीक वैसे ही लगता है जैसे कोई कहे:
“हम सिर्फ दोस्त हैं, शादी की कोई बात नहीं!”
अब सवाल यह है:
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क्या बीजेपी ठाकरे यूनियन बनने से पहले राज को Ex-दामाद बना रही है?
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या राज ठाकरे भी अपना रेट बढ़ा रहे हैं, ताकि दोनों तरफ डील खुले?
महाराष्ट्र की राजनीति में अब चाय नहीं, ‘चाल’ गरम है!
एक कहावत है –
“जहाँ चाय, वहाँ राय!”
लेकिन महाराष्ट्र में यह बदल चुकी है:
“जहाँ फडणवीस, वहाँ चाल – चाहे राज हो या उद्धव!”
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