
ईद मिलादुन्नबी यानी वो दिन जब पूरी दुनिया में रहमतों के ताजदार, सरवरे कायनात हज़रत मोहम्मद ﷺ की पैदाइश का जश्न मनाया जाता है।
सड़कें सजती हैं, दिल रोशन होते हैं, और WhatsApp स्टेटस की रीलों में नबी ﷺ की शान में कसीदे पढ़े जाते हैं।
“Light lagao, लेकिन Mind भी On रखो!” – A Friendly Reminder
जश्न मनाना कोई गुनाह नहीं, लेकिन नबी ﷺ की असली सीरत सिर्फ ग्रीन लाइटिंग और बैनर से नहीं आती। अगर आप loudspeaker से नाते पढ़ रहे हैं लेकिन पड़ोस के बुज़ुर्ग चैन से नहीं सो पा रहे – तो भाई, नबी की तालीम में ऐसा जश्न नहीं था।
नबी ﷺ की सीरत – सिर्फ जश्न नहीं, ज़िम्मेदारी भी
हज़रत मोहम्मद ﷺ ने अमन, इंसाफ़, बराबरी और इल्म का पैग़ाम दिया। तो अगर वाकई मिलाद मना रहे हो, तो चलो मोहल्ले के बच्चों को किताबें बांटो, किसी गरीब को खाना खिलाओ, या आपसी झगड़े खत्म करने की पहल करो।
Status vs. Sunnat – फर्क समझो दोस्त!
आज के दौर में “ईद मिलाद मुबारक ” स्टेटस लगाना तो आम बात है। लेकिन नबी की सुन्नत को अपनी लाइफ में apply करना उतना ही ज़रूरी है। मतलब ये कि मोबाइल का brightness कम करो और अंदर का noor बढ़ाओ।

Instagram Reels vs. Real Impact
Reel में 15 सेकंड के लिए “Ya Nabi Salaam Alaika” चलाकर लाइक बटोरना आसान है। असल कमाई तो तब होगी जब किसी ज़रूरतमंद के चेहरे पर मुस्कान ला सको। इस बार Milad पर सिर्फ रोशनी नहीं, कोई नेक काम भी कर लो – Insta पे नहीं, Insaaniyat में viral हो जाओ।
चलते-चलते एक दिल से दुआ:
“या अल्लाह! हमें नबी ﷺ की सीरत पर चलने की तौफ़ीक़ दे, जश्न को नसीहत से जोड़ने की समझ दे, और समाज को मोहब्बत से भर दे। आमीन!”
Facebook, WhatsApp, YouTube और Instagram पर लगा बैन – जानिए क्यों