दुलारचंद यादव केस का बड़ा खुलासा: गोली नहीं, फेफड़ा फटने से हुई मौत

Ajay Gupta
Ajay Gupta

बिहार की राजनीति में फिर एक बार पोस्टमार्टम रिपोर्ट चर्चा का विषय बन गई है। दुलारचंद यादव की मौत को लेकर जो पहले गोलीकांड बताया जा रहा था, वह अब एक सस्पेंस थ्रिलर में बदल गया है। रिपोर्ट के अनुसार, दुलारचंद की मौत गोली से नहीं, बल्कि फेफड़ा फटने और कार्डियाक अरेस्ट से हुई — यानी बुलेट नहीं, ब्लंट फोर्स!

रिपोर्ट कहती है – धक्का, गिरना और टूटी पसलियां

तीन डॉक्टरों की टीम ने जांच के बाद पाया कि पीछे से किसी भारी वस्तु से धक्का लगने के कारण दुलारचंद गिर पड़े।
इस गिरावट में सीने की हड्डियां टूट गईं, फेफड़ा फट गया, और दिल ने साथ छोड़ दिया। यानी, जो ‘राजनीतिक गोली’ बताई जा रही थी, वह दरअसल प्रेशर की राजनीति का पंच था

EC और पुलिस एक्शन में – पर तस्वीरों में ‘अनंत’ गुम

चुनाव आयोग ने DGP से रिपोर्ट तलब कर ली है, जबकि पुलिस ने 100 से अधिक वायरल वीडियो खंगाले हैं। दिलचस्प बात ये है कि कहीं भी अनंत सिंह नजर नहीं आए, लेकिन उनके समर्थक जरूर पकड़ में आए हैं। अब सवाल ये — क्या राजनीति में ‘साइलेंट प्लानिंग’ भी नया ट्रेंड बन गया है?

पत्थर जो उड़ते हैं, वो टाल इलाके के नहीं थे

पुलिस की जांच में सामने आया कि हमला सिर्फ इमोशन का विस्फोट नहीं था, बल्कि प्लानिंग का प्रोजेक्ट था। जांच टीम ने बताया — पत्थर वहीं के नहीं थे, उन्हें गाड़ियों से लाया गया, यानी ‘पत्थरबाज़ी विद लॉजिस्टिक्स सपोर्ट’!

घटना कब और कैसे हुई

30 अक्टूबर की दोपहर, मोकामा के टाल इलाक़े में दुलारचंद यादव जनसुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के समर्थन में रैली कर रहे थे। भीड़ भड़क उठी, पथराव हुआ, और अफरा-तफरी में दुलारचंद नीचे गिर पड़े। उनके पोते की शिकायत पर JDU प्रत्याशी अनंत सिंह समेत 5 लोगों पर FIR दर्ज की गई है।

राजनीति की पटकथा अब बदली

अब यह मामला सिर्फ हत्या या हादसे का नहीं रहा, बल्कि “पॉलिटिकल स्क्रिप्ट में सस्पेंस” बन गया है। एक तरफ विपक्ष इसे “सिस्टम की साजिश” बता रहा है, तो सत्तापक्ष कह रहा है — “हम पर उंगली उठाने से पहले सबूत देखिए।”

बिहार में अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी इलेक्शन मैनिफेस्टो जैसी लगने लगी है — हर पार्टी उसे अपने हिसाब से पढ़ती है, और जनता सोचती है — “साहब, असली ‘हत्यारा’ कौन — इंसान या राजनीति?”

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