
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपनी ‘टैरिफ तानाशाही’ के साथ सामने आए हैं। इस बार निशाने पर हैं वो देश, जो अमेरिकी टेक कंपनियों पर डिजिटल सर्विस टैक्स लगाने की सोच रहे हैं। ट्रंप ने अपने ट्रूथ सोशल अकाउंट पर साफ-साफ लिखा:
“कोई देश अगर हमारे टेक जायंट्स पर डिजिटल टैक्स लगाएगा, तो उसके एक्सपोर्ट पर हम दोहरी मार करेंगे — टैरिफ का बम गिरा दूंगा।”
अब बताइए, ये धमकी है या दबंगई?
भारत क्या करेगा? Tax या Truce?
भारत के पास दो ऑप्शन हैं:
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डिजिटल सर्विस टैक्स वापस लाकर टेक कंपनियों से “यूज़ करके पैसा वसूला” जाए,
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या फिर चुपचाप ट्रंप के गुस्से से बचने के लिए “नो टैक्स पॉलिसी” पर टिके रहा जाए।
आपको याद दिला दें कि 1 अप्रैल 2025 से भारत ने डिजिटल टैक्स यानी ‘इक्विलाइजेशन लेवी’ खत्म कर दी थी, ताकि अमेरिका से रिश्ते अच्छे रहें। पर अब जब ट्रंप ट्रेड डील को जूते की नोंक पर रखकर धमकी दे रहे हैं — सवाल उठता है, “क्या भारत फिर से टैक्स लगाएगा?”
अमेरिका ने भारत पर लगाया है 50% तक टैरिफ
मामला सिर्फ डिजिटल तक सीमित नहीं है। ट्रंप ने भारत समेत 90 से ज्यादा देशों पर टैरिफ की बारिश कर दी है — 10% से लेकर 50% तक। सबसे ज्यादा मार भारत और ब्राजील पर पड़ी है।
और जब भारत की कंपनियों ने सोचा कि अमेरिका के साथ ट्रेड डील में फायदा होगा, तभी ट्रंप ने गेट कीपर बनकर डील का दरवाज़ा बंद कर दिया।
टेक कंपनियों का बिज़नेस मॉडल: नो ऑफिस, ऑल प्रॉफिट!
गूगल, मेटा, यूट्यूब, नेटफ्लिक्स, अमेजन जैसी कंपनियां भारत में बिना किसी ऑफिस के अरबों रुपये कमा रही हैं।

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ना फैक्ट्री, ना स्टाफ, ना इन्वेस्टमेंट।
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सिर्फ डिजिटल सर्विस देके सब्सक्रिप्शन और विज्ञापन से इनकम।
लेकिन ट्रंप को लगता है, टैक्स लगाना मतलब सीधा अमेरिका पर अटैक करना।
कनाडा और यूरोपीय देशों ने भी ट्रंप के डिजिटल करारे जवाब के बाद अपने टैक्स हटा लिए थे।
डिजिटल टैक्स क्या होता है?
यह टैक्स उन इंटरनेशनल कंपनियों पर लगता है जो किसी देश में फिजिकली मौजूद नहीं होतीं, लेकिन उस देश के यूजर्स से इनकम करती हैं। भारत ने पहले इसे ‘इक्विलाइजेशन लेवी’ नाम दिया था, जो 2016 में लागू हुआ और 2025 में खत्म कर दिया गया।
BRICS में भारत ने दिखाया मिज़ाज: ट्रंप गुस्साएं, हम तो रुपये में करेंगे व्यापार!
इधर ट्रंप डिजिटल धमकियां दे रहे हैं, उधर भारत ने BRICS देशों के साथ रुपये में व्यापार की शर्तें आसान कर दी हैं। यानी अमेरिका की धौंस के बिना भी सिस्टम चल सकता है — और शायद यही ट्रंप को बर्दाश्त नहीं!
ट्रंप का डिजिटल टैक्स से डर ऐसा है, जैसे अमेज़न से ऑर्डर करने के बाद डिलीवरी बॉय का फोन आ जाए:
“सर, घर के बाहर खड़ा हूं… टैक्स दो नहीं तो टैरिफ लग जाएगा!”
डिजिटल टैक्स सिर्फ आर्थिक मुद्दा नहीं, एक जियो-पॉलिटिकल तीर है — जिसे कब, कहां और कैसे चलाना है, ये भारत को तय करना है। फिलहाल तो भारत शांत है, लेकिन ट्रंप की लहरें बढ़ती गईं तो टैक्स की गूंज सुनाई देना तय है।
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