
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की प्रचंड जीत के बाद सियासी गलियारों में एक ही नाम गूंज रहा है—धर्मेंद्र प्रधान। जीत ऐसी कि BJP में खुशी की लहर… और चर्चाएँ ऐसी कि अगला “राष्ट्रीय अध्यक्ष” कौन?
हर जगह एक ही जवाब—“प्रधान जी!”
बिहार जीत में प्रधान की एंट्री—और फिर पूरी स्क्रीन कब्जा!
लंबे समय से बिहार की राजनीति से जुड़े धर्मेंद्र प्रधान एक बार फिर साबित कर गए कि चुनाव सिर्फ पोस्टर और रैली से नहीं, मैनेजमेंट और माइक्रो-स्टाइल से जीते जाते हैं। Bihar 2025 में भाजपा की शानदार परफॉर्मेंस के पीछे उनकी रणनीति को आधा क्रेडिट दिया जा रहा है। और आधा?… वो तो NDA को ही दे दें।
ओडिशा वाले ‘सह–बिहारी’! नीतीश-कनेक्शन का पुराना रोमांस
प्रधान भले ओडिशा के हों लेकिन बिहार की सियासत में उनका ‘स्थायी पता’ बन चुका है। नीतीश कुमार से उनकी नजदीकी अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय की है। एक बार तो नीतीश ने मंच से सार्वजनिक रूप से उन्हें “सह–बिहारी” भी कह दिया था। और बिहार में सह-बिहारी का मतलब?
आप बस बिहार के ही हो गए!
2010 से बिहार… और 2025 में कमाल
2010 के चुनाव में वे पूरे दो महीने बिहार में डेरा डाले रहे। इसके बाद हर चुनाव—लोकसभा और विधानसभा—में वे BJP के ‘चाणक्य नंबर–2’ की तरह सक्रिय रहे। मोदी–शाह की कोर टीम में उनका भरोसा इतना मजबूत है कि Bihar 2025 की ज़िम्मेदारी उन्हें सौंपना पार्टी के लिए रिस्क नहीं, “सही निवेश” था।
हार्ड चैलेंज? प्रधान कहते हैं—Challenge Accepted!
हरियाणा में मुश्किल हालात में भी भाजपा को जीत दिलाने के बाद पार्टी को समझ आ गया कि— जहाँ स्थिति टाइट हो, वहाँ प्रधान को भेजो!
ओडिशा, यूपी, हरियाणा, बिहार… हर जगह उनकी चुनावी इंजीनियरिंग का लेवल अलग ही दिखा है।

अब बड़ा सवाल — BJP का नया ‘प्रधान’ कौन?
बिहार जीत के बाद चर्चा तेज है कि बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव जल्द हो सकता है। और नाम सबसे ऊपर किसका?
धर्मेंद्र प्रधान का। राजनीति में कद बढ़ चुका है…वरिष्ठों का भरोसा मिल चुका है… और बिहार चुनाव ने तो उनकी इमेज को हाई-वोल्टेज बूस्ट दे दिया।
क्या वाकई BJP को नया “प्रधान” मिलने वाला है? राजनीति में कुछ भी पक्का नहीं होता—पर चर्चाएँ ज़ोरों पर हैं।
जीत बिहार की, पर चर्चाएँ बस प्रधान की!
सभी मान रहे हैं कि बिहार में NDA की प्रचंड जीत ने धर्मेंद्र प्रधान के कद को नई ऊंचाई दी है। अब निगाहें दिल्ली पर हैं— क्या BJP का अगला राष्ट्रीय अध्यक्ष “प्रधान” होगा?
