दिल्ली की राय: “अबकी बार ठोक के चुप कराया, वरना तो पाकिस्तान हर बार मुकरता है”

शकीलअहमद
शकीलअहमद

भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिनों तक चली जबरदस्त सैन्य कार्रवाई के बाद सीज़फायर पर सहमति बनी। लेकिन दिल्लीवालों का मानना है कि यह कोई “शांति की जीत” नहीं बल्कि भारत की रणनीतिक जीत है।

सीज़फायर पर बहराइच की जनता की राय: पाकिस्तान से नहीं, भारत की तैयारी से है भरोसा

क्या बोले दिल्ली वाले – कुछ सीधे, कुछ तंज में, सब राष्ट्रहित में

तस्लीम अहमद :
“सीज़फायर एक अवसर है, लेकिन हमें सतर्क रहना चाहिए। पाकिस्तान की सरकार एक कहती है, और ISI कुछ और करती है।”

वीरेन्द्र यादव :
“भाई बात सीधी है, डर के मारे बोले की ‘शांति चाहिए’। पहले बम फोड़े, अब दाढ़ी में तिनका लेकर शांति का ढोंग कर रहे हैं।”

रजिया सुल्ताना :
“भारत को संयम दिखाना पड़ा, लेकिन अब सरकार की नीति सख्त होनी चाहिए। पाकिस्तान को हरकत में आते ही सख्त जवाब देना चाहिए।”

रणबीर सिंह :
“दिल्ली में हर कोई जानता है कि पाकिस्तान की नीयत साफ नहीं। अबकी बार सही चाल चली भारत ने – पहले मारा, फिर बात की।”

शाहिद कुरैशी :
“मुस्लिम समुदाय भी अब पाकिस्तानी झूठ से ऊब चुका है। हमें शांति चाहिए, लेकिन देश की सुरक्षा पहले है।”

दिल्ली बोले – “बात जब मुल्क की हो, तो धर्म, जात, मजहब सब पीछे”

दिल्ली के नागरिकों में एक स्वर से बात सामने आई कि पाकिस्तान की ओर से हुई यह सीज़फायर डर और दबाव का नतीजा है, न कि दिल से की गई शांति की पहल। और इस बार जनता का मूड साफ है—भारत को अब नर्मी नहीं, रणनीति चाहिए।

“दिल्ली बोले—अब कोई चूक नहीं। बात तब ही होगी जब उधर से नीयत साफ हो। और अगली बार हमला हुआ, तो बातचीत नहीं – सिर्फ कार्रवाई होगी।”

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