अल-फलाह यूनिवर्सिटी का बयान — “डॉ. उमर से कोई लेना-देना नहीं!”

अजमल शाह
अजमल शाह

दिल्ली के लाल किले के पास 10 नवंबर को एक चलती कार में भयानक धमाका हुआ। 10 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और राजधानी में सनसनी फैल गई।
जांच में पता चला — कार चलाने वाला शख्स था डॉ. उमर, और फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी का नाम भी केस में उछला।

सोशल मीडिया पर कुछ रिपोर्ट्स आईं — “धमाके की साजिश यूनिवर्सिटी के अंदर रची गई!” बस फिर क्या था — मीडिया से लेकर मेम पेज तक सब एक्टिव हो गए।

अल-फलाह यूनिवर्सिटी का प्रेस नोट: “हमारा नाम मत घसीटो भई!”

अल-फलाह यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर ने प्रेस नोट जारी कर कहा — “डॉ. उमर या किसी भी संदिग्ध व्यक्ति का यूनिवर्सिटी से कोई लिंक नहीं है।”

VC ने आगे लिखा — “हमारे दो डॉक्टरों को जांच एजेंसियों ने पूछताछ के लिए लिया है, लेकिन संस्थान का उनसे सिर्फ पेशेवर रिश्ता था।”

“हमारे लैब में सिर्फ बायोकैमिस्ट्री होती है, बम केमिस्ट्री नहीं!”

यूनिवर्सिटी प्रशासन ने मीडिया रिपोर्ट्स को “भ्रामक और अपमानजनक” बताया।
स्पष्ट कहा गया कि — कैंपस से कोई विस्फोटक या रसायन नहीं मिला है। लैब में जो भी केमिकल हैं, वे सिर्फ मेडिकल स्टडी के लिए हैं। जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग किया जा रहा है।

पीएम मोदी ने घायलों से की मुलाकात

दिल्ली ब्लास्ट के बाद प्रधानमंत्री मोदी भूटान यात्रा से लौटते ही सीधे LNJP अस्पताल पहुंचे। उन्होंने घायलों से मुलाकात की और अधिकारियों को जल्द से जल्द जांच पूरी करने के निर्देश दिए।

सस्पेंस अब भी बाकी है

अब देखना यह होगा कि जांच एजेंसियों की फाइनल रिपोर्ट में क्या निकलता है — क्या “अल-फलाह” का नाम क्लीन रहेगा या कुछ नया मोड़ आएगा? फिलहाल यूनिवर्सिटी ने तो साफ कह दिया है — “हम एजुकेशन देते हैं, एक्सप्लोशन नहीं!” 

दिल्ली ब्लास्ट ने पूरे देश को झकझोर दिया है, लेकिन अफवाहों के बीच सच्चाई ढूंढना ही सबसे जरूरी है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी ने जो स्टैंड लिया है, उससे साफ है — वे जांच एजेंसियों के साथ खड़े हैं, और चाहते हैं कि दोषी कोई भी हो, देश की सुरक्षा से खिलवाड़ न बचे।

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