
गोरखपुर में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के समापन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “कर्तव्य के प्रति कृतज्ञता का भाव, सनातन धर्म का मूल संस्कार है।”
वे राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 11वीं और महंत दिग्विजयनाथ महाराज की 56वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे थे।
हनुमान-मैनाक संवाद का उल्लेख, सनातन संस्कृति की व्याख्या
मुख्यमंत्री योगी ने रामायण के प्रसंग — हनुमान और मैनाक पर्वत के बीच हुए संवाद का उद्धरण “कृते च कर्तव्यम एषः धर्म सनातनः” प्रस्तुत किया और कहा कि “यह भाव, सनातन संस्कृति की आत्मा है।”
उन्होंने बताया कि आश्विन कृष्ण पक्ष पूर्वजों की स्मृति और कृतज्ञता प्रकट करने के लिए समर्पित है।
गोरक्षपीठ के महंतद्वय: सनातन, राष्ट्र और समाज के प्रतीक
सीएम योगी ने कहा कि उनके गुरु महंत अवेद्यनाथ और दादागुरु महंत दिग्विजयनाथ का पूरा जीवन सनातन धर्म, राष्ट्रवाद और लोकहित को समर्पित रहा।
उन्होंने कहा:
“महंतद्वय ने हर मुद्दे पर समाज और धर्म को सर्वोपरि रखा। गोरक्षपीठ आज भी उनके सिद्धांतों पर चल रहा है।”
शिक्षा को बनाया राष्ट्र निर्माण का आधार
सीएम योगी ने बताया कि महंत दिग्विजयनाथ जी ने 1932 में महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद की स्थापना की थी, जो आज गुणवत्तापूर्ण शिक्षा का स्तंभ बन चुकी है।
महंत अवेद्यनाथ जी ने भी शिक्षा के हर क्षेत्र — महिला शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, आयुष शिक्षा को मजबूती दी।
“उन्होंने विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए अपने संस्थान दान कर दिए — ये त्याग-भावना सनातन संस्कृति की मिसाल है।”
राम मंदिर आंदोलन में भी गोरक्षपीठ की अग्रणी भूमिका
सीएम योगी ने श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन में गोरक्षपीठ की ऐतिहासिक भूमिका का स्मरण करते हुए कहा कि:
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महंत दिग्विजयनाथ ने मंदिर निर्माण के यज्ञ की शुरुआत की

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महंत अवेद्यनाथ ने 1983 से जीवन के अंत तक इस संघर्ष को आगे बढ़ाया
समरसता के पक्षधर थे महंत अवेद्यनाथ
मुख्यमंत्री ने कहा कि महंत अवेद्यनाथ जी ने सदैव समाज को जोड़ने का कार्य किया।
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उन्होंने अस्पृश्यता के खिलाफ आवाज उठाई
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हर वर्ग को जोड़कर सामाजिक समरसता को बल दिया
“वे उन ताकतों से हमेशा सजग रहे, जो समाज को बांटने का काम करती थीं।”
महंतद्वय की स्मृति, आज भी प्रेरणा
सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महंतद्वय का जीवन सनातन मूल्यों की जीवंत व्याख्या है। उनकी पुण्यतिथि केवल स्मरण नहीं, बल्कि कृतज्ञता का सार्वजनिक प्रदर्शन है — एक परंपरा, जो समाज को दिशा देती है।
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