
CBI ने बुधवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो वरिष्ठ अफसरों सहित छह पुलिसकर्मियों को गिरफ़्तार कर लिया है। आरोप है कि इन अधिकारियों ने अपने ही एक साथी पुलिसकर्मी खुर्शीद अहमद चौहान का कस्टडी में उत्पीड़न किया था।
गिरफ़्तार किए गए पुलिसकर्मियों में शामिल हैं:
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DSP अज़ाज़ अहमद नायको
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इंस्पेक्टर रियाज़ अहमद
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जहांगीर अहमद
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इम्तियाज़ अहमद
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मोहम्मद यूनिस
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शाकिर अहमद
साल 2023 का मामला, जॉइंट इंटरोगेशन सेंटर में हुई थी कथित मारपीट
घटना 2023 की है। शिकायत के मुताबिक, उस समय बारामूला में तैनात खुर्शीद अहमद को नारकोटिक्स केस के सिलसिले में कुपवाड़ा के जॉइंट इंटरोगेशन सेंटर बुलाया गया था।
यहां उन्हें 6 दिन तक हिरासत में रखकर गंभीर शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न का शिकार बनाया गया।
उनकी पत्नी ने आरोप लगाया कि DSP ने उन्हें अधमरा कर दिया था और छोड़ दिया।

खुर्शीद के खिलाफ केस और सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप
2023 में खुर्शीद पर पुलिस ने ही केस दर्ज किया था, जिसे उन्होंने जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन याचिका खारिज हो गई।
इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की, जहां से उन्हें बड़ी राहत मिली।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश: केस वापसी + 50 लाख का मुआवज़ा
21 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में बड़ा फैसला सुनाया:
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खुर्शीद अहमद के खिलाफ दर्ज मामला वापस लिया जाए
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CBI को आरोपी पुलिस अफसरों के खिलाफ जांच का आदेश
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खुर्शीद अहमद को ₹50 लाख का मुआवज़ा देने का निर्देश
सिस्टम पर बड़ा सवाल: पुलिस द्वारा पुलिस पर ज़ुल्म?
इस घटना ने पुलिस महकमे के भीतर की कार्यसंस्कृति पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जब एक साथी पुलिसकर्मी ही अपने पद का दुरुपयोग कर उत्पीड़न करे, तो आम नागरिकों की सुरक्षा और इंसाफ की उम्मीद कहाँ टिकेगी?
CBI की जांच अब आगे क्या?
CBI अब सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में इस मामले की गहराई से जांच कर रही है। माना जा रहा है कि जल्द ही और लोगों की गिरफ़्तारी हो सकती है।
ये मामला सिर्फ कानूनी नहीं, बल्कि नैतिक और मानवीय अधिकारों से जुड़ा है। अब सवाल ये है कि क्या वाकई दोषियों को सज़ा मिलेगी या फिर ये केस भी सिस्टम में दब जाएगा?
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