“बॉस, बम मत गिराओ!” — ट्रंप का ताऊ स्टाइल अलर्ट इसराइल के नाम

अजमल शाह
अजमल शाह

अमेरिका के राष्ट्रपति और राजनीतिक बयानबाज़ी के स्वयंभू ब्रह्मा डोनाल्ड ट्रंप फिर चर्चा में हैं। और इस बार वजह है उनका नया वर्ज़न ऑफ़ “International Scolding”

हेग में नेटो समिट के रवाना होने से पहले ट्रंप ने कहा कि उन्हें इसराइल पर “गुस्सा” है। बोले, “युद्धविराम के बाद रॉकेट चलाना ठीक नहीं। ये लोग खुद नहीं जानते कि कर क्या रहे हैं।”

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युद्धविराम… और तुरंत बमबारी?

ट्रंप की नाराजगी की वजह है इसराइल द्वारा युद्धविराम के तुरंत बाद की गई बमबारी। उन्होंने कहा, “मुझे यह बिल्कुल पसंद नहीं आया। समझौता हो गया और फिर भी बम फेंक दिया? अरे भई थोड़ा सब्र तो करो!”

ट्रंप के अनुसार, ये दो देश (ईरान और इसराइल) इतने सालों से लड़ते-लड़ते भूल चुके हैं कि असल मुद्दा क्या था — “अब बस फायरवर्क चलाना है, वो भी इंटरनेशनल लेवल पर!”

ट्रुथ सोशल पर ट्रंप की ट्रिगर चेतावनी

ट्रंप ने अपने मंच ट्रुथ सोशल पर लिखा:

“इसराइल, बम मत गिराओ। अगर तुमने ऐसा किया तो यह घोर उल्लंघन होगा। अपने पायलटों को वापस बुलाओ।”

यानि एकदम फैमिली वॉट्सऐप ग्रुप टाइप चेतावनी:
“बच्चों, दीवाली हो गई है, अब पटाखे मत चलाओ!”

क्या ट्रंप वाकई गंभीर हैं?

विश्लेषकों की मानें तो ट्रंप का यह रुख चौंकाने वाला है, क्योंकि वह हमेशा इसराइल के घोर समर्थक रहे हैं। लेकिन अब वह चाहते हैं कि शांति का Nobel मिल जाए, तो थोड़ा “संयम” दिखाना ज़रूरी है — वरना “Make Peace Great Again” का नारा कैसे चलेगा?

इजराइल का जवाब: “हमने तो सिर्फ जवाब दिया”

इसराइली सेना का दावा है कि ईरान ने पहले युद्धविराम तोड़ा, इसलिए उन्होंने जवाब दिया। वहीं ईरान ने उल्टा आरोपों से इनकार कर दिया।
अब सारा मामला बन गया है “किसने पहले मारा?” जैसा।

ताऊ ट्रंप बन गए गुरु शांति बाबू?

इस वक्त ट्रंप का ये बयान इस बात का संकेत है कि 2025 के राष्ट्रपति चुनावों में वो सिर्फ “दीवार बनाने वाले” नहीं, बल्कि “सीमा पर बांध लगाने वाले” नेता बनना चाहते हैं।
और अगर इस बार शांति उनकी टिकट है, तो सोशल मीडिया पर “बम मत गिराओ” लिखना ज़रूरी है — कम से कम वोटर्स को लगे कि “संवेदनशीलता अभी जिंदा है”।

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