सवर्णन के वोटवा — पटना से दिल्ली तक नेतन के पसीना छुड़वलस

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

बिहार के चुनावी मैदान में जे लोग आवाज कम करेला, लेकिन असर जोरदार डालेला — उहें सवर्ण वोट बैंक ह।
ब्राह्मण, भूमिहार, राजपूत अउर कायस्थ — ई चारों जात एक साथ जब फैसला करेला, तब नेताजी लोग के पसीना छुटे लगेला।

2020 में एनडीए के जीत में ई सवर्ण ब्लॉक नींव के पत्थर बनल रहे। अब 2025 में फेर सवाल उठल बा — “का अबकी बार सवर्ण फिर मोदी-नीतीश के नैया पार लगइहें, कि तेजस्वी के तरफ लहर बह जाई?”

ब्राह्मण – संस्कार में राजनीति, वोट में गणित

ब्राह्मण वोट पर बीजेपी के पकड़ हमेशा मजबूत रहल बा। मोदी ब्रांड + राम मंदिर + “राष्ट्रवाद” वाला मसाला अभी तक असरदार बा। बाकी, बेरोजगारी अउर महंगाई के दर्द से अब युवा ब्राह्मण थोड़े खिसियाइल दिख रहल बा। मतलब साफ — अगर पूजा पाठ के साथ रोजगार ना मिलल, त वोट बदल भी सकत बा।

राजपूत – शेर दिल जाति, पर वोटिंग में चुपके से चाल!

राजपूत समाज बिहार में हमेशा “Power Perception” के प्रतीक रहल बा। नीतीश से नाराज़गी अउर तेजस्वी से दूरी — ई दोनों के बीच में अब नेता लोग ‘राजपूत सम्मेलन’ से जुड़ाव बढ़ावे में लागल बा। बीजेपी एही वोट को साधे खातिर राजपूत चेहरन के टिकट बढ़ावे पर विचार करत बा।

भूमिहार – नीतीश से दूरी, लेकिन विकल्प की तलाश में

भूमिहार समाज अब वैचारिक रूप से बंटल बा। भाजपा के मजबूत सपोर्टर रहल ई समाज, लेकिन अब कुछ हिस्सा “लोकल नेता बनाम हाईकमान” से नाराज़ बा। तेजस्वी यadav अगर “ब्राह्मण-भूमिहार संवाद” जैसी रणनीति अपनावे, त खेल बदल सकेला। बाकी, अभी तक BJP के तरफ झुकाव कायम बा — बस मोदी ब्रांड टिका रहे।

कायस्थ – पॉलिश्ड इमेज, लेकिन वोट में सटीक वार

कायस्थ समाज कम संख्या में बा, लेकिन शहरी सीटों पर वोट पैटर्न तगड़ा असर डालेला। उन्हें “स्टेबल गवर्नेंस” वाला नैरेटिव पसंद बा —
तो अगर माहौल भरोसेमंद दिखल, त एनडीए के सपोर्ट मिलेला; बाकी अगर बेरोजगारी के बवाल उठल, त तेजस्वी के पोस्टर चमक सकेला।

कौन लगाई सवर्णन के नैया पार?

अबकी चुनाव में सवर्ण वोट “किंगमेकर” बन सकेला। नीतीश के राजनीतिक उठक-बैठक, बीजेपी के चेहरा अउर तेजस्वी के “युवा रोजगार” कार्ड — सब कुछ ए वोट बैंक के मनोदशा पर निर्भर बा। राजनीति में ई लोग कब किसकी नाव तरेला, कब डुबो देला — उ तो गंगा मैया भी ना बताव सकेलीं।

“नेता जी के राम नाम जपलस, वोट बैंक दूसरे घाट उतर गइल”

हर पार्टी सवर्णन से वादा करत बा — “आप हमार सम्मान हउअन!” बाकी चुनाव बाद सम्मान रहे ना रहे, ई वोट बैंक जरूर तय करत बा कि काहे बिहार के सत्ता में कौन तरेला।

सवर्ण समाज बिहार में अब “Silent Majority” ना, “Smart Majority” बन गइल बा। नेता लोग के फोकस अब सिर्फ जात ना, बलुक सम्मान + अवसर + प्रतिनिधित्व पर आ गइल बा। 2025 के नतीजा तय करी — कौन बनल “सवर्णन के मन के नेता”।

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