
बिहार चुनाव के नतीजे चाहे NDA की जेब में गए हों, लेकिन सत्ता का ट्रॉफी काउंट दो नेताओं के पास गया—
नीतीश कुमार, बिहार की राजनीति के Chanakya 2.0, और चिराग पासवान, युवा ऊर्जा के Comeback Kid।
दोनों ने सिर्फ चुनाव नहीं जीता, अपनी-अपनी राजनीतिक जमीन पर इतना खाद-पानी डाल दिया कि अगले कई साल तक वहां भारी फसल उगती रहेगी।
Nitish Kumar: The OG Chanakya of Bihar Politics
नीतीश कुमार का यह चुनाव एक तरह से Final Semester Viva था। विरोधी कह रहे थे “थक गए हैं बाबू, रिटायरमेंट ले लो।” लेकिन नीतीश ने दिखा दिया— “मैं हूं अभी भी, और बिहार की राजनीति मेरे इर्द-गिर्द ही घुमती है।”
‘डबल इंजन’ का सबसे भरोसेमंद ड्राइवर
उन्होंने खुद को PM मोदी के “डबल इंजन” का सबसे Experienced Pilot दिखाया। भले ही सीटें BJP जितनी न हों, पर NDA की कमान उनके ही हाथ में रही। भई, स्टीयरिंग भले BJP का हो, ड्राइविंग तो नीतीश ही करते हैं।
दलित-अति पिछड़ा Equation—Nitish’s Secret Weapon
महादलित व अति पिछड़ा वर्ग पर उनकी पकड़ अभी भी वैसी ही मजबूत है जैसे WhatsApp पर Good Morning messages — रोज आते हैं। उनका “सुशासन बाबू” ब्रांड अभी भी गांव-गांव में बिकता है।
सीट बंटवारे में Negotiation Skills = 11/10
NDA में सीट बंटवारे को लेकर जितना ड्रामा हुआ, उतना तो OTT पर भी नहीं आता। कुछ सीटें LJP(R) को मिलने पर नीतीश का कथित गुस्सा: “ये सीटें कैसे? जाकर BJP से बात करो!”
मतलब… “Alliance मैं हूं, Rule मेरी चलेगी।”
2020 में JDU की सीटें गिर गई थीं, लेकिन 2024 में नीतीश ने कमजोरी को हथियार, और अनुभव को Power Booster बना दिया।
Chirag Paswan: The Mount Everest of Comebacks
अगर कोई नेता इस चुनाव में Rocket की तरह ऊपर गया, तो वह चिराग पासवान हैं।
2020: NDA से बाहर, पार्टी टूट गई
2024: 5 में 5 सीटें, 100% स्ट्राइक रेट, NDA में वीआईपी ट्रीटमेंट
इसे कहते हैं Comeback, वो भी Cinematic Style।

Small Ally से बड़ी ताकत बनने तक
2020 में जिन्हें नीतीश ने दूसरे कमरे में बैठा दिया था, अब वही चिराग NDA की टेबल पर VIP कुर्सी लेकर बैठे हैं।
युवा इमेज + दलित वोट पर पकड़ = Deadly Combination।
‘मां से किया वादा’ — अब पूरी तरह पूरा
पार्टी टूटी, चाचा ने कब्जा लिया, सबने कहा खत्म हो जाएगा। लेकिन चिराग ने कहा— “मैं सब वापस लाऊंगा।” और उन्होंने किया भी।
विरासत भी लौटी, पावर भी मिली, और रुतबा भी।
पैर छुए, लेकिन Bargaining Power नहीं छोड़ी
चुनाव से पहले उन्होंने नीतीश के पैर छुए— लोग बोले: “अरे ये क्या?”
पर अंदर की बात: Respect बाहर, Negotiation अंदर।
सीट बंटवारे में चिराग इतने अड़े हुए थे कि NDA को भी लगा— “ये लड़का बिहार की Politics का नया Start-Up Founder है!”
29 सीटें मिलना उनकी Negotiation Skills की जीत है।
नीतीश ने साबित किया कि अनुभव अभी भी बिहार की सबसे बड़ी करेंसी है। चिराग ने दिखा दिया कि Energy + Strategy = धमाकेदार राजनीति। दोनों ने अपनी-अपनी शैली में चुनाव जीता—एक ने Chanakya Moves से, और दूसरे ने Youthful Swag से।
Bihar की सियासत की इस नई स्क्रिप्ट में—किंग भी वही, और कमबैक किड भी वही।
