“टिकट नहीं मिला? तो समझिए जात, धर्म या जुगाड़ में थोड़ी कमी रह गई!”

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जनता दल (यूनाइटेड) यानी JDU ने अपने सारे पत्ते खोल दिए हैं — जी हां, गुरुवार को 44 उम्मीदवारों की दूसरी लिस्ट जारी करके पार्टी ने कुल 101 सीटों पर प्रत्याशी घोषित कर दिए।

इससे पहले बुधवार को पहली लिस्ट में 57 उम्मीदवारों का एलान किया गया था। और अब जैसे ही दोनों लिस्टें मिलती हैं, चुनावी मैथमेटिक्स और सोशल इंजीनियरिंग का झंडा बुलंद होता है!

कौन-कौन को मिला टिकट?

जेडीयू ने जिस तरीके से टिकट बांटे हैं, उसे देखकर लगता है जैसे पार्टी ने:

जनगणना + जातिगत समीकरण + गूगल एनालिटिक्स” = टिकट वितरण फ़ॉर्मूला तैयार किया है।

101 प्रत्याशियों में शामिल हैं:

  • 4 मुस्लिम उम्मीदवार
  • 37 पिछड़ा वर्ग (OBC)
  • 22 अति पिछड़ा वर्ग (EBC)
  • 22 सामान्य वर्ग (General)
  • 15 अनुसूचित जाति (SC)
  • 1 अनुसूचित जनजाति (ST)
  • 13 महिलाएं – क्योंकि “नारी शक्ति” कार्ड भी जरूरी है!

सियासत + सोशल इकोलॉजी = जीत की रणनीति?

देखा जाए तो जेडीयू का ये टिकट वितरण सिर्फ नामों की सूची नहीं, बल्कि एक राजनीतिक पीएचडी प्रोजेक्ट जैसा है। हर वर्ग, हर जाति, हर संभावित वोट बैंक को संतुष्ट करने की कोशिश — ताकि किसी भी वर्ग को लगे कि “हमारे लिए भी सोचा गया।”

NDA का पूरा समीकरण क्या है?

12 अक्टूबर को एनडीए ने सीटों का बंटवारा कर दिया था:

  • BJP – 101 सीटें (तीन लिस्ट में उम्मीदवार घोषित)
  • JDU – 101 सीटें (अब पूरी लिस्ट जारी)
  • LJP (रामविलास) – 29 सीटें (14 नाम घोषित)
  • HAM (मांझी) – 6 सीटें
  • राष्ट्रीय लोक मोर्चा (कुशवाहा) – 6 सीटें
  • अब बस महागठबंधन वाले भी लिस्ट निकालें और मुकाबला शुरू हो जाए!

“टिकट की चाबी उन्हीं को मिली जिनके पास गणित की तिजोरी थी”

अगर आप सोच रहे हैं कि आपको टिकट क्यों नहीं मिला, तो शायद आपके पास:

  • ना कोई बड़ा जातीय आधार था
  • ना कोई वायरल भाषण
  • ना ही “नितीश अंकल” से चाय पर मीटिंग

तेजस्वी बोले – 15 लो, सहनी बोले – 30 दो !” आखिरकार 18 पर हुई सुलह!

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