
बिहार में दो चरणों की वोटिंग पूरी हो चुकी है और अब सबकी निगाहें 14 नवंबर के रिज़ल्ट डे पर टिकी हैं। लेकिन इससे पहले जैसे ही एग्जिट पोल में एनडीए को बढ़त मिली, तेजस्वी यादव के तेवर गरम हो गए।
प्रेस वार्ता में उन्होंने जो कहा, वो चुनावी पिच को और मसालेदार बना गया — “ये एग्जिट पोल नहीं, प्रेशर पोल हैं। अधिकारी दवाब में हैं, चैनल स्क्रिप्ट पर काम कर रहे हैं।”
तेजस्वी का तंज – “PMO लिखता है, चैनल पढ़ते हैं!”
तेजस्वी यादव ने कहा, “जो पीएमओ तय करता है, वही चैनल चलाते हैं। अमित शाह लिखते हैं, एंकर पढ़ते हैं। ये एग्जिट पोल नहीं, स्क्रिप्ट पोल हैं।”
उनका दावा है कि “72 लाख नए वोटर्स इस बार नीतीश सरकार को बचाने के लिए नहीं, बल्कि बदलने के लिए वोट डाल चुके हैं।”
तेजस्वी का कॉन्फिडेंस देखकर पार्टी वर्कर्स का मूड “लालू वाली मुस्कान” में बदल गया है।
“बिहार में इस बार बेईमानी नहीं चलेगी”
आरजेडी नेता ने पुराने चुनावों की याद दिलाई — “2020 में भी जनता ने बदलाव के लिए वोट दिया था, पर खेल हो गया।”
इस बार, तेजस्वी बोले – “हम क्लीन स्वीप करेंगे। कोई डर नहीं, कोई चोरी नहीं। लोकतंत्र की रक्षा के लिए जो भी करना पड़े, करेंगे।”
साथ ही उन्होंने चेतावनी भी दी – “वोट गिनती में गड़बड़ी की कोशिश होगी। लेकिन हम तैयार हैं। अबकी बार खेल उल्टा होगा।”

एनडीए को बढ़त, लेकिन ग्राउंड पर ‘बदलाव की हवा’?
एग्जिट पोल्स एनडीए को बढ़त दिखा रहे हैं, लेकिन मैदान में माहौल कुछ और है। ग्रामीण वोटर्स से लेकर युवाओं तक, “तेजस्वी की लहर बनाम बुलडोज़र बैकअप” की चर्चा जोरों पर है। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि “यह चुनाव सिर्फ सीटों का नहीं, भरोसे का इम्तिहान है।”
“बिहार बोलेगा, फिर दिल्ली सोचेगी!”
तेजस्वी यादव का बयान साफ है — वो बैलेट की लड़ाई को ‘सिस्टम के खिलाफ जंग’ की तरह देख रहे हैं। अब 14 नवंबर को रिजल्ट यह बताएगा कि जनता ने “एग्जिट पोल” पर भरोसा किया या “तेजस्वी के रोल” पर। एक बात तय है — इस बार का बिहार चुनाव सिर्फ राजनीतिक नहीं, सिनेमैटिक थ्रिलर बन गया है।
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