
भोपाल में बना एक रेलवे ओवरब्रिज (आरओबी) अब सवालों के घेरे में है। इस आरओबी की डिज़ाइन में 90 डिग्री का मोड़ शामिल था, जो यातायात के लिहाज से बेहद ख़तरनाक माना गया। विशेषज्ञों की चेतावनियों के बावजूद इसे पास किया गया और निर्माण भी हो गया।
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मुख्यमंत्री ने दिए कार्रवाई के आदेश
मामले की गंभीरता को देखते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने तुरंत जांच करवाई। जांच रिपोर्ट आने के बाद लोक निर्माण विभाग (PWD) के 7 इंजीनियरों को सस्पेंड कर दिया गया है, जिनमें दो मुख्य अभियंता (Chief Engineers) भी शामिल हैं। इसके अलावा, एक रिटायर्ड S.E. (Superintending Engineer) पर विभागीय जांच चलेगी।
दो बड़ी कंपनियां ब्लैकलिस्ट
जिन दो फर्मों ने इस आरओबी का डिज़ाइन तैयार किया और निर्माण कार्य किया, उन्हें भी दोषी पाया गया है। मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि दोनों कंपनियों को ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस गलती की वजह से भविष्य में ऐसी फर्मों को सरकारी कार्य नहीं दिया जाएगा।

सुधार के बाद ही होगा लोकार्पण
सरकार ने एक विशेषज्ञ समिति बनाकर आरओबी की डिज़ाइन में सुधार के निर्देश दिए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि “इस आरओबी का उद्घाटन तब तक नहीं होगा जब तक इसमें आवश्यक सुधार नहीं कर दिए जाते।“
भोपाल आरओबी मामले ने एक बार फिर सरकारी निर्माण कार्यों में लापरवाही और डिज़ाइन स्तर पर की गई चूक को उजागर कर दिया है। मुख्यमंत्री मोहन यादव की तेज़ कार्रवाई इस बात का संकेत है कि अब इन मामलों में कोई ढिलाई नहीं चलेगी। लोगों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होगा।
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