
भारत रूस से सस्ते तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन चुका है। लेकिन अब नेटो और अमेरिका की ओर से भारत पर रूस से तेल आयात रोकने का जबरदस्त दबाव है। ट्रंप ने तो साफ कह दिया है – “या तो रूस से तेल लेना बंद करो या 100% टैरिफ झेलने के लिए तैयार रहो।”
भारतीय टोले में टेस्ला— मगर शोरूम में TAX‑LA लिखा है
नेटो और ट्रंप की धमकी: चीन-भारत-ब्राज़ील पर निशाना
नेटो महासचिव मार्क रुट ने कहा कि भारत, चीन और ब्राज़ील पुतिन पर युद्ध रोकने का दबाव डालें। ट्रंप ने इन तीनों देशों को 100% टैरिफ की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि अगर 50 दिनों में युद्ध बंद नहीं होता, तो रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगेंगे।
भारत का जवाब: ‘हम किसी दबाव में नहीं हैं’
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि “हम ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देते हैं।” पेट्रोलियम मंत्री हरदीप पुरी ने दो टूक कहा, “हम किसी भी देश पर निर्भर नहीं हैं और किसी भी तरह के दबाव में नहीं आएंगे।”
क्या ट्रंप का दबाव झेल पाएगा भारत?
भारत दोहरी चुनौती झेलेगा –
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सस्ता तेल नहीं मिलेगा
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अंतरराष्ट्रीय बाजार में महंगाई बढ़ेगी
साथ ही, अगर अमेरिका रूस से रक्षा व्यापार पर भी रोक की मांग करता है तो भारत की सुरक्षा आपूर्ति पर भी असर पड़ेगा।
रणनीतिक विश्लेषण: भारत को क्या करना चाहिए?
“भारत को ट्रंप के दबाव के आगे नहीं झुकना चाहिए। यह दबाव अंतहीन है। अगर हम झुकते हैं, तो अगली बार कुछ और मांगें होंगी।”
चीन, अमेरिका को स्पष्ट जवाब देता है, लेकिन भारत की रणनीति अब ज्यादा नरम दिख रही है।
क्या अमेरिका ले सकता है रूस की जगह?
तेल की कीमत और डिप्लोमैटिक संतुलन देखते हुए भारत के लिए यह आसान नहीं। रूस से सस्ता तेल भारतीय जनता के लिए राहत है। अगर इसे बंद किया गया, तो महंगाई तेज़ हो सकती है।
तेल आयात पर भारत की निर्भरता: कुछ तथ्य
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भारत अपनी जरूरत का 88% तेल आयात करता है
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रूस से 38% तेल भारत खरीद रहा है
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रूस यूक्रेन युद्ध से पहले यह आंकड़ा 2% से भी कम था
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छूट की वजह से भारत को सस्ता तेल मिला
क्या भारत झुकेगा?
भारत अभी दबाव के आगे झुकता नहीं दिख रहा, लेकिन ट्रंप की आक्रामक रणनीति भारत को रणनीतिक दुविधा में डाल सकती है। भारत को दीर्घकालिक रणनीति के साथ मजबूत वैश्विक कूटनीति अपनानी होगी।
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