बाढ़ में बह गई व्यवस्था, बीजिंग में 31 बुजुर्गों की मौत

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

बीजिंग, चीन – इस हफ्ते आई भारी बारिश और बाढ़ ने राजधानी बीजिंग के मियुन ज़िले में स्थित एक नर्सिंग होम को भी अपनी चपेट में ले लिया, जहां 31 बुजुर्गों की दर्दनाक मौत हो गई। यह घटना सिर्फ एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि प्रशासनिक चूक की दस्तावेजी मिसाल बन गई है।

नर्सिंग होम में थे 77 बुजुर्ग, 6 फीट तक भर गया पानी

स्थानीय रिपोर्ट्स के अनुसार, जब बाढ़ आई, तब करीब 77 बुजुर्ग नर्सिंग होम में मौजूद थे।

  • इनमें से कई बुजुर्ग चल-फिर नहीं सकते थे।

  • जब पानी का स्तर छह फीट तक पहुंच गया, तब तक काफी देर हो चुकी थी।

बचाव दल सीने तक पानी में उतरकर कुछ को तो बचा पाया, लेकिन 31 की जान नहीं बच सकी।

“योजना थी, पर काम नहीं आई” – अधिकारियों की बेशर्मी का बयान

आपदा के बाद जब सवाल उठे, तो स्थानीय प्रशासन ने कहा:

“आपातकालीन योजना में कई खामियां थीं। यह हमारे लिए एक सबक है।”

मतलब ये कि प्लानिंग तो थी, लेकिन बस व्हाइटबोर्ड तक ही सीमित थी।

बुजुर्गों के लिए “सुरक्षित स्थान” की परिभाषा बदल गई — अब वह जगह जहां पानी नहीं घुसे, बस वही सुरक्षा मानी जाएगी।

मौत का कारण: सिस्टम की सुस्ती या कुदरत की मर्जी?

एक तरफ भारी बारिश थी, तो दूसरी ओर प्रशासनिक नींद। सवाल उठ रहे हैं:

  • क्यों नर्सिंग होम जैसी संवेदनशील जगह को पहले नहीं खाली कराया गया?

  • बाढ़ पूर्वानुमान के बावजूद क्या तैयारी सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस तक सीमित थी?

अब तक 44 मौतें, क्या बचेगा विश्वास?

बीजिंग में आई बाढ़ में अब तक कुल 44 लोगों की जान जा चुकी है।
इनमें से 31 सिर्फ एक नर्सिंग होम से हैं — यानी 70% से ज्यादा मौतें एक जगह से। यह आंकड़ा कुछ नहीं, आपदा प्रबंधन की पोल खोलता आंकड़ा है।

बीजिंग में आई यह बाढ़ सिर्फ बारिश की मार नहीं थी, यह था एक सिस्टम का इम्तिहान, जिसमें वो फिर नाकाम हुआ।
बुजुर्गों की मौत सिर्फ एक आंकड़ा नहीं — यह प्लानिंग की नाकामी, तैयारी की ढिलाई, और संवेदनशीलता की कमी का शोर है।

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