
बांग्लादेश की राजधानी ढाका के उत्तरा इलाके में सोमवार को F-7 ट्रेनर जेट गिर गया। यह जेट बांग्लादेश एयरफोर्स के ट्रेनिंग ऑपरेशन में शामिल था।
हादसे में एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि हुई है, और चूंकि यह एक रिहायशी इलाका था, मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका बनी हुई है।
F-7: मिग-21 की कॉपी या उड़ता हुआ रिस्क?
इस दुर्घटना ने एक बार फिर चीन द्वारा बनाए गए F-7 फाइटर जेट की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
F-7 असल में सोवियत यूनियन के मिग-21 की एक “ऑथोराइज़्ड नकल” है, जिसे चीन ने तकनीक लेने के बाद थोड़ा-बहुत ट्वीक करके अपना बना लिया।
“Made in China” का टैग इस पर ऐसा फिट बैठता है कि उड़ते-उड़ते गिर ही गया।
50 साल का विमान, 250 सुधार… फिर भी फिसड्डी!
F-7 का जन्म 1964 में शेनयांग एयरक्राफ्ट फैक्ट्री में हुआ था। शुरुआत में विमान में 249 समस्याएं पाई गईं। फिर 8 बड़े टेक्निकल पार्ट्स को दोबारा बनाया गया – यानी शुरुआत से ही प्लेन ने दिखा दिया था कि भरोसा करना खतरनाक होगा।
2013 में बंद हुआ प्रोडक्शन, फिर भी उड़ रहा है जेट
साल 2013 में चीन ने F-7 BGI का निर्माण बंद कर दिया, लेकिन बांग्लादेश, पाकिस्तान और उत्तर कोरिया जैसे “मित्र राष्ट्र” आज भी इन्हें उड़ाने की हिम्मत जुटा रहे हैं।
आप इसे नया जेट नहीं, “रिटायर्ड चाचाजी” समझिए, जिसे अभी भी रेस में धकेला जा रहा है।
F-7 की विशेषताएं (कागज़ पर ही सुंदर हैं)
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स्पीड: 2.25 मैक (अगर क्रैश न हो तो)
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हथियार: हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, लेज़र गाइडेड बम
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डिज़ाइन: ग्लास कॉकपिट, लेकिन टिकाऊपन काँच से भी कम
क्रैश की असली वजह – तकनीक, उम्र या किस्मत?
F-7 को चीन ने 2011 में बांग्लादेश को बेचा था और 2013 में सारे विमान डिलीवर कर दिए। सवाल उठता है — क्या 60 साल पुरानी तकनीक आज के आसमान के लायक है?
या फिर यह “नकली मिग” का असली रंग था जो आखिरकार आसमान से ज़मीन पर आ गिरा?
अब क्या होगा?
F-7 जैसी मशीनें आज के समय में रडार-प्रूफ, मिसाइल-एवेसिव युद्ध के मैदान में कितनी प्रासंगिक हैं, यह बड़ा सवाल बन चुका है।
बांग्लादेश एयरफोर्स को अपने फ्लीट की सेफ़्टी रिव्यू करनी ही होगी। और अगर नहीं की… तो अगली हेडलाइन हो सकती है – “F-7 फिर फिसला, इस बार ।।।। पर!”
तकनीक पुरानी हो तो हादसे नए ही होंगे
चीन की एयरक्राफ्ट डिप्लोमेसी का ये एक और उदाहरण है — “बेच दो, उड़ाओ मत!”
F-7 जैसे जेट भविष्य नहीं, बीते जमाने की उड़ती हुई यादें हैं — जो वक्त-बेवक्त ज़मीन पर लौट आती हैं।
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