बहराइच बना इंटरनेशनल मीडिया का चौराहा — नेपाल से भी पहुंचे कलमकार

सैफी हुसैन
सैफी हुसैन

उत्तर प्रदेश का सीमावर्ती जिला बहराइच, इस बार किसी विकास योजना के लिए नहीं, बल्कि “अंतरराष्ट्रीय पत्रकार सम्मेलन” के लिए सुर्खियों में है। जी हाँ, नगर पालिका सभागार में हुआ यह आयोजन न केवल स्थानीय पत्रकारों बल्कि पड़ोसी राष्ट्र नेपाल के दर्जनों पत्रकारों की भी मेज़बानी का गवाह बना।

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“संवाद सीमाएं नहीं मानता — और पत्रकार भी नहीं!”

नेपाल के सिराज खान ने कहा, ‘खबर में होनी चाहिए ज़िम्मेदारी’

कार्यक्रम की शुरुआत नेपाल से आए वरिष्ठ पत्रकार सिराज खान के संबोधन से हुई,
जिन्होंने कहा —

“भारत-नेपाल के मजबूत रिश्ते में पत्रकारों की भूमिका वैसी ही है जैसे हेडलाइन में भाव।”

साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया की रफ्तार पर भी तंज कसते हुए कहा — “अब खबरें पहले वायरल होती हैं, फिर संपादक की टेबल पर आती हैं!”

‘चौथा स्तंभ याद रखना!’

नानपारा से विधायक राम निवास वर्मा ने पत्रकारों को लोकतंत्र का “चौथा स्तंभ” बताया और याद दिलाया कि इस स्तंभ की नींव में सत्य, संयम और संघर्ष होना चाहिए। वहीं पयागपुर विधायक सुभाष त्रिपाठी, जो खुद कभी पत्रकार रहे, बोले —

“हमने जब पत्रकारिता छोड़ी, तब प्रेस नहीं, प्रेसर हावी था!”

उन्होंने वरिष्ठ पत्रकार हेमंत मिश्रा की निडर पत्रकारिता की तारीफ करते हुए कहा कि “कुछ लोग आज भी वही लिखते हैं जो सही है — चाहे जिसे भी चुभे!”

पुलिस की मौजूदगी भी रही दर्ज — पत्रकारों के मुद्दों पर रखी बात

अपर पुलिस अधीक्षक रामानंद कुशवाहा ने भी सम्मेलन को संबोधित किया और पत्रकारों की भूमिका को “संविधान की आत्मा से जुड़ा” बताया।

“पत्रकार देश का आईना हैं — और आईने को साफ रखने की जिम्मेदारी सिर्फ आईने की नहीं, देखने वालों की भी है।”

महंत से लेकर महफ़िल तक — सम्मेलन में हर रंग दिखा

मुख्य अतिथि  रवि गिरी महाराज, विशिष्ट अतिथि विधायक द्वय, नगर पालिका प्रतिनिधि श्याम करण टेकड़ीवाल, नेपाल के राजा खान व सिराज खान — सबने इस मीडिया-महाकुंभ को गरिमा दी।

पत्रकार सम्मेलन हो या फोटो सेशन?

सम्मेलन में पत्रकारों को सम्मानित भी किया गया, पर सवाल यह है कि — सम्मेलन के बाद पत्रकारों की खबरों को कितना सम्मान मिलेगा? क्या यह आयोजन सिर्फ “फ्रेम” में आने और “प्रेस नोट” छपवाने तक सीमित था?

“कलम चलाना मुश्किल है, लेकिन मंच पर सम्मान लेना आसान!”

सम्मेलन अच्छे हैं, लेकिन निष्पक्षता बेहतर है!

बहराइच में हुआ यह सम्मेलन एक अच्छी पहल है — सीमाएं पार करने वाली पत्रकारिता का मंच, संवाद का संवाददाता,
लेकिन यह भी सच है कि — “सम्मेलन साल में एक बार होते हैं, पत्रकारिता हर दिन इम्तिहान लेती है।”

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