
राम नगरी अयोध्या एक बार फिर चर्चा में है— लेकिन इस बार वजह ध्वजारोहण नहीं, बल्कि एक ‘सीक्रेट पॉलिटिकल मीटिंग’ है जिसने पूरे प्रदेश की राजनीति में हलचल पैदा कर दी है।
RSS Chief मोहन भागवत और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साकेत निलयम स्थित संघ कार्यालय में करीब 1.5 घंटे तक बंद कमरे में बातचीत की।
आधिकारिक बयान शून्य। सूत्रों की फुसफुसाहट ज़ोर पर।
भागवत का अयोध्या दौरा: मंदिर, गुरुद्वारा और फिर निजी रणनीति
सोमवार दोपहर मोहन भागवत पहले गुरुद्वारा ब्रह्मकुंड साहिब के कार्यक्रम में शामिल हुए, फिर रामलला के दर्शन, और शाम 6 बजे साकेत निलयम पहुँच गए।
करीब डेढ़ घंटे बाद, 7:30 pm पर योगी आदित्यनाथ पहुंचे— और शुरू हुआ UP 2027 का डिप-डाइव सेशन। बैठक की लोकेशन भी उतनी ही रोचक जितनी चर्चा— यह संघ का निजी परिसर है, जहां “Stick No Bills, Stick No Media” जैसा माहौल रहता है।
जब लखनऊ में साथ थे, तो अयोध्या क्यों?
यह सवाल राजनीतिक गलियारों में धुआँ बनकर उड़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक— लखनऊ में मंच था, कैमरे थे, प्रोटोकॉल था — गोपनीयता जीरो।
लेकिन अयोध्या का साकेत निलयम? असली “Confidential Zone”। यही वजह है किMeeting को पूरी तरह अंडर-रैप्स रखा गया।
2027 चुनाव की रणनीति पर गहन मंथन
सूत्र बताते हैं कि चर्चा सिर्फ पूजा-पाठ से आगे थी। यह UP 2027 की राजनीतिक रोडमैप मीटिंग थी जिसमें कुछ बेहद संवेदनशील मुद्दों पर बात हुई— हिंदुत्व की नई परिभाषा: राम मंदिर के बाद क्या? Narrative upgrade की ज़रूरत क्योंकि “Ram Mandir Completed” चैप्टर खत्म।

जातीय समीकरण और Social Engineering
Election math = caste balance + Hindutva mix।
Sangh vs Sarkar: Coordination Reset
जहाँ friction है, वहाँ WD-40 की ज़रूरत पड़ती ही है।
Kumbh 2025 का राजनीतिक उपयोग
धार्मिक भावना + राजनीतिक संदेश = एक बड़ा कॉम्बो प्लान।
धर्मांतरण के नए तरीके और रोकथाम
Recent trends और सुरक्षा रणनीति पर चर्चा।
BJP-RSS में आंतरिक गुटबाज़ी
“Team को Team बनाना” भी एजेंडा में था।
राजनीतिक संकेत: अगली राह तय हो रही है
इस मीटिंग को सिर्फ एक मुलाकात नहीं बल्कि UP 2027 की दिशा तय करने वाली बड़ी राजनीतिक घंटी माना जा रहा है। राजनीति में इसे नाम दिया जा रहा है— “Silent Meeting, Loud Message.”
“सिंध बोले—मैं तो दिल में ही रहता था, बुलाओगे तो लौट भी आऊंगा!”
