अक्षय तृतीया और भगवान परशुराम जयंती 2025: शुभ योग, पूजन विधि और महत्व

लेखक : पंडित भगत राम 

वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, जिसे हम अक्षय तृतीया के नाम से जानते हैं, इस वर्ष यानी 2025 में 29 अप्रैल को आ रही है। इसी दिन भगवान परशुराम जयंती भी मनाई जा रही है। यह संयोग कई वर्षों बाद एक बार फिर देखने को मिल रहा है और धार्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत फलदायक माना जा रहा है।

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क्या है अक्षय तृतीया का महत्व?

अक्षय’ का अर्थ है – जो कभी क्षय (नाश) न हो। इस दिन किए गए दान, जप, तप, पूजन, विवाह या निवेश का फल अक्षय (अनंत) माना जाता है।
मान्यता है कि इसी दिन से सत्ययुग और त्रेतायुग की शुरुआत हुई थी। यह दिन सोना खरीदने, नया कार्य शुरू करने और विवाह जैसे मांगलिक कार्यों के लिए अत्यंत शुभ होता है।

भगवान परशुराम जयंती का धार्मिक महत्व

भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाने वाले परशुराम जी का जन्म भी इसी तिथि को हुआ था। उन्हें ब्रह्म क्षत्रिय के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने धर्म की रक्षा के लिए अत्याचारियों का नाश किया।

पूरे भारत में इस दिन परशुराम मंदिरों में विशेष पूजा, हवन, शस्त्र पूजन और धार्मिक प्रवचन आयोजित किए जाते हैं।

2025 में शुभ मुहूर्त और तिथियां

  • अक्षय तृतीया तिथि प्रारंभ: 28 अप्रैल 2025 दोपहर 01:45 बजे

  • तिथि समाप्त: 29 अप्रैल 2025 दोपहर 04:10 बजे

  • शुभ मुहूर्त सोना खरीदने का: 29 अप्रैल को सुबह 7:30 से दोपहर 1:15 बजे तक

  • परशुराम जयंती पूजन मुहूर्त: 29 अप्रैल सुबह 9:00 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक

पूजन विधि

  • प्रातः स्नान के बाद व्रत संकल्प लें

  • भगवान विष्णु, लक्ष्मी जी और परशुराम जी की पूजा करें

  • पंचामृत से अभिषेक करें

  • “ॐ परशुरामाय नमः” मंत्र का जाप करें

  • ब्राह्मणों को दान दें – विशेष रूप से अन्न, वस्त्र और सोना

अक्षय तृतीया और परशुराम जयंती का एक साथ आना अत्यंत दुर्लभ और पुण्यकारी संयोग होता है। यह दिन धार्मिक उपासना, दान-पुण्य, और सद्कर्मों के लिए श्रेष्ठ माना जाता है। अगर सही मुहूर्त और विधि से पूजा की जाए, तो जीवन में सुख, समृद्धि और अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।

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