
मऊ सदर से विधायक और पूर्व बाहुबली नेता मुख़्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को इलाहाबाद हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उनके दो साल की सज़ा पर फिलहाल रोक लगा दी है, जिससे उनकी रद्द की गई विधानसभा सदस्यता भी अब बहाल हो जाएगी।
क्या है पूरा मामला?
मामला है 2022 विधानसभा चुनाव के दौरान का। 3 मार्च 2022, मऊ के पहाड़पुर में एक चुनावी सभा के दौरान अब्बास अंसारी ने प्रशासनिक अधिकारियों को लेकर कहा था:
“अब चुनाव के बाद हिसाब होगा, एक-एक को देख लेंगे!”
इस बयान को लेकर एसआई गंगाराम बिंद की शिकायत पर उनके खिलाफ हेट स्पीच का मुकदमा दर्ज किया गया।
सज़ा और कोर्ट की राहत
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मई 2025 में मऊ की निचली अदालत ने अब्बास अंसारी को 2 साल की सज़ा सुनाई।
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इसके चलते उनकी विधानसभा सदस्यता स्वतः रद्द हो गई थी।

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लेकिन अब इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उनकी सज़ा पर अंतरिम रोक लगाते हुए मामले की दोबारा सुनवाई का दरवाज़ा खोल दिया है।
इसका मतलब अब वे फिर से विधायक माने जाएंगे, जब तक अंतिम फैसला नहीं हो जाता।
मुख़्तार अंसारी की विरासत और राजनीति में बेटा
अब्बास अंसारी के पिता मुख़्तार अंसारी, यूपी की राजनीति में एक समय बाहुबली और प्रभावशाली चेहरा माने जाते थे। उनकी मौत मार्च 2024 में जेल में हुई थी। अब्बास अंसारी ने अपनी राजनीतिक जमीन को पिता की छवि के सहारे ही मजबूत किया है, लेकिन कानूनी उलझनों से पीछा नहीं छूट रहा।
“राजनीति में बयान ज़रा सोच-समझ कर देना चाहिए”
अब्बास अंसारी की राहत अस्थाई है, लेकिन राजनीतिक रूप से यह उन्हें संजीवनी की तरह मिल सकती है। विपक्ष जहां इस फैसले पर सवाल खड़े कर सकता है, वहीं समर्थकों में जश्न का माहौल है।
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