
गर्मी, उमस और शादी की थकावट में जब दुल्हन को चक्कर आया, लेकिन दूल्हे ने इसे “उच्च स्तर का संकेत” मान लिया। उसने दोस्तों की सलाह पर रात में जुटा ली प्रेग्नेंसी टेस्ट किट — और उसे आमंत्रित कर बैठा अपनी सुहागरात की इंटिमेट पार्टी में!
रेट्रो रिव्यू: नदिया के पार – प्रेम, परंपरा और पंखे की पुरानी हवा
दुल्हन का ‘बायोमेट्रिक’ जवाब: फोन करती हुई भाभी
जैसे ही दूल्हे ने किट थमाई, दुल्हन का वार-ड्रोन थ्रू किया गया: मायके गए फोन में भाभी को सारी बात बता डाली।
भाभी चौंकी, मायके वाले दौड़ पड़े — और फिर शुरू हुआ गरमागरम “सुहागरात पंचायत”।
पंचायत का मंच: दो घंटे का ड्रामा-थिएटर
छोटे से बवाल में बुलाई गई पंचायत।
दुल्हन अड़ी रही — “शक का अड्डा सुहागरात में कैसे चलेगा?”
दूल्हा बोला — “गलती से किट ले आया, दोस्तों का सुझाव, दुर्भावना नहीं।”
और फिर पूरा गांव लगा माफ़ी लविंग रिपीट मोड में…
माफी का असर: ‘गुडबॉय शक!’ अब ‘हैलो भरोसा!’
पंचायत में दूल्हे ने आईना दिखाया और माफी मांगी:
“अगली बार जब चक्कर आएंगे, सीधे दवाखाने ले जाकर जांच करवाऊँगा।”
दोपहर का हंगामा थमा, और खुशी खुशी हो गई शादी! फ़िलहाल…
सुहागरात या डाइविंग टेस्ट?
अब सोचिए—सुहागरात की जगह हो रहा था ‘प्रेग्नेंसी टेस्ट चैलेंज’?
क्या किट वाले “मेडिकल मेन्हदी” का नया ट्रेंड आएगा?
प्यार में सम्मान चाहिए, शक में सफाई नहीं
ये मज़ाकिया-गुझिया खबर हमें याद दिलाती है: रिश्तों में भरोसा चाहिए, बॉडी टेस्ट नहीं। सुहागरात पर शक की जगह होनी चाहिए प्यार की बारिश, ना कि किट की कतार। और अगली बार जब कोई कहे— “इतनी जल्दी टेस्ट किट?”— जवाब दीजिए- “पहले दिल का टेस्ट दूँ, फिर बॉडी का!”