“पैसा ऊपर, कर्ज नीचे! वेदांता बना फाइनेंस का ‘Walking Dead'”

महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह

पहले अडानी, अब अनिल अग्रवाल! वाइसरॉय रिसर्च ने जो बम फोड़ा है, उसने वेदांता के शेयर बाजार में हड़कंप मचा दिया है। इस रिपोर्ट ने वेदांता रिसोर्सेज को बताया एक “पॉन्जी स्कीम”, और सीधे कह दिया – “ये कंपनी खुद बिज़नेस नहीं करती, बस दूसरों की कमाई चूसती है!”

कह सकते हैं – अगर अडानी की रिपोर्ट शेयर बाज़ार की बर्फ थी, तो वेदांता की रिपोर्ट जलते तेल में पानी!

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परजीवी कंपनी या बिज़नेस का ‘ब्लैक होल’?

रिपोर्ट के अनुसार, वेदांता रिसोर्सेज वेदांता लिमिटेड से लगातार पैसा निकालती है। खुद तो कुछ कमाती नहीं, लेकिन खर्च के लिए बच्चों जैसी जिद करती है:
“भैया, प्लीज़! एक बार और लोन दिला दो!”
वाइसरॉय ने कहा – ये कंपनी किसी “पैरासाइट” से कम नहीं, जो मेज़बान को बीमार करके खुद ज़िंदा है।

नफा दिखाने का ‘जुगाड़ तंत्र’

रिपोर्ट कहती है कि वेदांता ने जो ब्याज दरें बताई हैं, वो हकीकत से बहुत कम हैं। ऊपर से खर्च को “कैपिटल एक्सपेंस” बता कर बैलेंस शीट में मेकअप कर दिया गया। असली खर्च छुपा दो, फेक प्रोजेक्ट दिखा दो — मुनाफा तो Instagram फिल्टर की तरह दिखता है!

“वित्तीय ज़ॉम्बी” — ना मरती है, ना जीती है

वाइसरॉय का कहना है कि वेदांता अब एक “फाइनेंशियल ज़ॉम्बी” है — जो जिंदा दिखती है लेकिन अंदर से खोखली है। ये ज़ॉम्बी नया लोन पाकर थोड़ा नाचती है, फिर अगले लोन का इंतज़ार करती है। एक छोटा सा झटका और ये ज़ॉम्बी गिर सकता है, बस अब कोई नया ‘SEBI-स्तर’ वाला सीटी बजा दे।

क्या डी-मर्जर से होगा कोई फर्क?

वेदांता रिसोर्सेज अब डी-मर्जर की प्लानिंग कर रही है, शायद सोचा होगा: “जब कर्ज संभले ना, तो कंपनी के टुकड़े कर दो!”
लेकिन वाइसरॉय का कहना है कि इससे असली दिक्कतें नहीं जाएंगी, सिर्फ शेप शिफ्ट होगी।

जैसे नाश्ता छोड़कर डायटिंग शुरू करने वाला कहे, “अब मैं हेल्दी हूं!”

शेयर मार्केट में हलचल — निवेशक बोले: ‘अब ये भी गया!’

रिपोर्ट के बाद वेदांता लिमिटेड का शेयर 4.5% टूटा और हिंदुस्तान ज़िंक भी खिसक गया। निवेशक सोच में हैं —
“हमने अडानी में सीखा नहीं, और अब ये आ गया!”
शेयर मार्केट में फिलहाल ‘ट्रस्ट डिफ़िसिट’ का माहौल है। रिपोर्ट पढ़ने के बाद लग रहा है –

“अब तो लॉन्ग टर्म इनवेस्टमेंट भी शॉर्ट सेलिंग में बदल गया है!”

अडानी के बाद अब वेदांता की बारी?

वाइसरॉय रिसर्च की रिपोर्ट सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि वेदांता के वित्तीय संचालन पर एक बड़ा सवालिया निशान है। रिपोर्ट कहती है कि
“जब तक ये सिस्टम चलता है, तब तक सभी खुश हैं। लेकिन जब यह गिरेगा, तो आवाज़ दूर-दूर तक जाएगी!”

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