
बंगाल की राजनीति में गर्मी कुछ ज़्यादा ही बढ़ गई है, और वजह है एक दिल दहला देने वाली घटना – कोलकाता के लॉ कॉलेज में गैंगरेप। लेकिन उससे भी ज़्यादा सनसनी मचाई टीएमसी नेताओं की ‘बुद्धिमत्तापूर्ण’ टिप्पणियों ने। विधायक मदन मित्रा ने मानों पीड़िता को ही दोषी ठहराने की कोशिश की, अगर वह लड़की वहां नहीं जाती, तो यह घटना नहीं होती!
वाह नेताजी, मतलब अब अपराधियों से ज़्यादा ज़िम्मेदार पीड़िता हो गई?
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‘अगर दोस्त ही रेप कर दे तो क्या करें?’ – सांसद का तर्कशास्त्र
सांसद कल्याण बनर्जी ने भी अपनी ‘बौद्धिक क्षमता’ का परिचय देते हुए कहा, अगर दोस्त ही रेप कर दे तो पुलिस क्या करेगी?
क्या यह किसी कोर्ट रूम की दलील थी या चाय की दुकान पर बैठे दोस्तों की गपबाज़ी?
TMC बोली: हमने तो नहीं कहा!
बयान विवाद खड़ा करने लगे तो टीएमसी ने तुरंत पल्ला झाड़ा। पार्टी ने कहा कि नेताओं के ये बयान निजी हैं और पार्टी की सोच नहीं दर्शाते। सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए साफ कहा गया, हम इन टिप्पणियों से असहमति जताते हैं और इनकी निंदा करते हैं।
अच्छा किया, वरना पार्टी की छवि ‘बेतुकी बकवास संघ’ में तब्दील हो जाती!
महुआ मोइत्रा की फटकार: ‘सेल्फ गोल’ बंद करो!
टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी अपने ही नेताओं पर करारा हमला बोला। एक्स पर उन्होंने लिखा, भारत में महिलाओं के खिलाफ नफरत सभी पार्टियों में है, फर्क सिर्फ इतना है कि हम निंदा करते हैं!
कम से कम किसी ने तो होश की बात की।
असली मुद्दा: न्याय की उम्मीद?
24 जून को लॉ कॉलेज के गार्ड रूम में 24 वर्षीय छात्रा के साथ दो सीनियर छात्रों और एक पूर्व छात्र ने गैंगरेप किया। अब तक तीनों आरोपी – मनोजीत मिश्रा, प्रोमित मुखर्जी और जैद अहमद – गिरफ्तार हो चुके हैं। पुलिस ने एसआईटी का गठन किया है, लेकिन जनता सवाल पूछ रही है, क्या सिर्फ एसआईटी से न्याय मिलेगा या नेताओं की ज़ुबान पर भी कोई ताला लगेगा?
बयानबाज़ी से बलात्कार नहीं रुकते
राजनीतिक बयानों की इस ‘सेल्फ गोल लीग’ में सबसे ज़्यादा नुकसान किसका हो रहा है? पीड़िता का। नेताओं को बयान देने से पहले एक बार सोच लेना चाहिए – कभी-कभी चुप रहना भी देशसेवा होती है।