Terror का ‘Game Over’: ISIS इंडिया हेड साकिब नाचन की मौत

अजमल शाह
अजमल शाह

जिसने कभी खलीफा राज की कल्पना में देश के टुकड़े-टुकड़े करने की योजना बनाई थी, वो अब खुद ही ज़िंदगी के टुकड़े-टुकड़े होते सिस्टम का शिकार हो गया। साकिब नाचन, ISIS का कथित इंडिया हेड, अब नहीं रहा। उसकी मौत ब्रेन हेमरेज से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में हुई — और मज़े की बात ये कि वो खुद “ब्रेन वॉशिंग” का मास्टरमाइंड रहा।

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कभी सिमी का सचिव, अब आतंक का अंतिम अध्याय

ठाणे ज़िले के पधगा से निकला यह शख्स पहले सिमी (स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया) का पदाधिकारी था।
2002-03 में मुंबई सीरियल ब्लास्ट्स के मामले में उसका नाम आया, कोर्ट ने 10 साल की सजा दी।
2017 में जेल से छूटा और उम्मीद थी कि वो सुधर गया होगा — लेकिन नहीं साहब, वह तो आतंक की PG से PhD करने निकल पड़ा।

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जेल से बाहर आते ही उसने नया रोल अपनाया — ISIS के लिए टेरर मैनेजमेंट

युवाओं को कट्टरपंथी बनाना

हथियारों की ट्रेनिंग

ISIS के लिए फंडिंग

भारत में खलीफा शासन की प्लानिंग

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साल 2023 में NIA ने उसे गिरफ्तार किया। उस पर UAPA, देशद्रोह, आतंकी गतिविधियों की धाराएं लगी थीं। आरोप थे कि वो युवाओं को धर्म और झूठे जन्नत के सपनों के नाम पर आतंकी प्लांट बना रहा था। NIA की नजर में वो हाई-प्रोफाइल टारगेट था, और आज वो ICU से डायरेक्ट मोर्चरी में शिफ्ट हो गया है।

ब्रेन हेमरेज: ‘ब्रेन वॉशर’ का खुद का ब्रेन धोखा दे गया

57 वर्षीय साकिब नाचन तिहाड़ जेल में बंद था, जहां उसकी तबीयत बिगड़ी। डॉक्टरों की जांच में सामने आया कि उसे ब्रेन हेमरेज हुआ।
ट्रेंड के उलट, इस बार किसी और का दिमाग खराब नहीं हुआ — खुद उसका दिमाग फेल हो गया।

एक कट्टरपंथी, जो दूसरों के सोचने की क्षमता छीनता था, आखिरकार अपनी सोच तक से वंचित हो गया।

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साकिब की मौत भारत की सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक राहत है — लेकिन सिर्फ एक अध्याय का अंत। कट्टरपंथ, आतंकी विचारधारा और सोशल मीडिया ब्रेनवॉशिंग आज भी सक्रिय हैं। यह घटना हमें याद दिलाती है कि ‘एक आतंकवादी मरा’ का मतलब यह नहीं कि आतंक मर गया।

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जिसने देश के खिलाफ हथियार उठाने की योजना बनाई, उसका अंत एक अस्पताल की बैड पर हुआ। बंदूकें, धमाके और साजिशें आखिरकार एक ब्रेन हेमरेज के सामने फीकी पड़ गईं। साकिब नाचन का अंत इस बात का सबूत है कि भारत की न्याय व्यवस्था लंबी हो सकती है, लेकिन अंधी नहीं।

और अंत में —
जो दूसरों का ब्रेन वॉश करता था, उसे उसका ब्रेन ही धो बैठा।

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