प्रवासी होना अब डर जैसा है” – शकीरा का ट्रंप पर तगड़ा वार

Lalita Pradeep
Lalita Pradeep

ग्रैमी अवॉर्ड विजेता पॉप स्टार शकीरा ने अमेरिका में प्रवासियों के हालात को लेकर गहरी चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप की इमिग्रेशन नीतियों ने प्रवासियों का जीवन बेहद मुश्किल बना दिया है। कोलंबिया में जन्मीं शकीरा, जिन्होंने अमेरिका के मियामी शहर में रहकर म्यूजिक करियर शुरू किया था, अब मानती हैं कि अमेरिका में प्रवासी बनकर जीना “डर के साए में जीने जैसा है।”

“डर और तकलीफ़ का माहौल बना है” – शकीरा

The Hollywood Reporter से बातचीत में शकीरा ने बताया कि मौजूदा माहौल में प्रवासियों को हर पल डर और असुरक्षा के साथ रहना पड़ता है।

“यह डर के साथ जीने जैसा है। यह बहुत तकलीफदेह है।”

उनका कहना है कि लोगों को सिर्फ उनके दस्तावेज़ों के आधार पर नहीं आंका जाना चाहिए।

सम्मान और इंसानियत की अपील

शकीरा ने अमेरिका की इमिग्रेशन पॉलिसियों की आलोचना करते हुए कहा कि सरकार की नीतियां चाहे जैसी भी हों, इंसानियत और सम्मान से व्यवहार किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा:

“नीतियां बदल सकती हैं, लेकिन लोगों के साथ व्यवहार हमेशा मानवीय होना चाहिए।”

ICE रेड्स और विरोध प्रदर्शन के बीच आया बयान

शकीरा का यह बयान ऐसे वक्त पर आया है जब लॉस एंजेलिस और अन्य शहरों में ICE (इमिग्रेशन एंड कस्टम्स एनफोर्समेंट) छापों के विरोध में प्रदर्शन हो रहे हैं। इन प्रदर्शनों में अभिनेत्री अन्ना केंड्रिक, जूलिया लुई-ड्रेफस और केरी वॉशिंगटन जैसी हस्तियां भी हिस्सा ले रही हैं।

ट्रंप की नीतियों पर खुलकर निशाना

शकीरा ने ट्रंप प्रशासन की इमिग्रेशन नीतियों को “आक्रामक” करार देते हुए कहा कि इससे प्रवासियों में भय और अस्थिरता बढ़ी है।
डोनाल्ड ट्रंप ने इन विरोध प्रदर्शनों को रोकने के लिए कैलिफोर्निया में नेशनल गार्ड तैनात कर दिया है, जिस पर गवर्नर गेविन न्यूसम ने कड़ा ऐतराज जताया है।

ग्रैमी जीत को प्रवासियों को किया समर्पित

इस साल ग्रैमी अवॉर्ड जीतने के बाद भी शकीरा ने यह पुरस्कार अमेरिका में रह रहे प्रवासियों को समर्पित किया था।

“आप अकेले नहीं हैं। आप प्यार के हकदार हैं और मैं हमेशा आपके साथ खड़ी रहूंगी।”

शकीरा की आवाज़, एक उम्मीद

शकीरा सिर्फ एक अंतरराष्ट्रीय पॉप स्टार नहीं, बल्कि प्रवासी समुदाय की आवाज़ भी बन चुकी हैं। उनका मानना है कि अब समय है कि लोग अपने हक़ की आवाज़ बुलंद करें और एकजुट होकर इंसानियत के पक्ष में खड़े हों। उनके शब्द प्रवासियों को हौसला और उम्मीद दोनों देते हैं।

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