रॉबर्ट वाड्रा फंसे! पहलगाम बयान पर लखनऊ कोर्ट में केस, सुनवाई 20 जून को

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

आतंकियों का PR संभालेंगे वाड्रा जी? देश की राजनीति में बोरियत फैल चुकी थी, जब रॉबर्ट वाड्रा ने एक इंटरव्यू में नया धमाका कर दिया। उन्होंने पहलगाम के आतंकी हमले को “संदेश” बता डाला और मुस्कुराते हुए हिंदुओं को इसके लिए ज़िम्मेदार भी ठहरा दिया।

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“क्योंकि हिंदुत्व की बात होती है, इसलिए हमला हुआ,” ऐसा कहकर उन्होंने आतंकियों की भावनाओं को शायद वही शब्दों में ढाल दिया जो खुद आतंकियों को भी न सूझा हो।

कुछ देर के लिए भारत सरकार, सेना, खुफिया एजेंसियां सबने राहत की सांस ली — कम से कम अब उन्हें हमले की वजह समझ आ गई थी… रॉबर्ट वाड्रा एक्सप्लेनर इन चीफ़ बन चुके थे।

कोर्ट ने कहा: चलिए, अब कानूनी “संदेश” भेजा जाए

वाड्रा साहब के इस अंतरराष्ट्रीय स्तर के बयान के बाद लोग सोच रहे थे कि अगला कदम शायद संयुक्त राष्ट्र से माफी मांगना होगा — लेकिन तभी हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस ने लखनऊ CJM कोर्ट में केस ठोक दिया। कोर्ट ने भी सोचा, “इतना ज्ञान फैलाना खतरनाक है”, और 20 जून को अगली सुनवाई रख दी।

अब सवाल उठता है: क्या वाड्रा को उनके बयान के लिए राष्ट्रीय ‘टाइम्स ऑफ टेरर’ अवॉर्ड मिलेगा, या फिर कानूनी नोटिस की ‘सुविधा’?

हमला इसलिए हुआ क्योंकि… सोचिए मत, बस मान लीजिए!

वाड्रा के बयान के अनुसार:

“मुसलमान डरे हुए हैं, इसलिए आतंकियों ने हिंदुओं को मार दिया…”

सामान्य समझदारी वाले लोग: “तो फिर आतंकियों से सहानुभूति जताई जा रही है?”

वाड्रा समर्थक: “नहीं नहीं, ये ‘राजनीतिक विश्लेषण’ है… थोड़ी चेतावनी, थोड़ी हमदर्दी, थोड़ा आग में घी!”

विचारों की आज़ादी बनाम बकवास की आज़ादी

देश एक लोकतंत्र है, और यहां हर किसी को बोलने की आज़ादी है। लेकिन अब सवाल ये है कि क्या उस आज़ादी के तहत आप आतंकी हमले को जायज ठहरा सकते हैं?

अगर हाँ, तो जल्द ही देश में “Terror Apologist Society” की स्थापना होगी, जिसमें प्रेसिडेंट पद के लिए रॉबर्ट वाड्रा का नाम सबसे आगे चल रहा है।

आगे क्या? Netflix सीरीज़ या जेल यात्रा?

CJM कोर्ट अब तय करेगा कि रॉबर्ट वाड्रा का ये बयान:

  • संविधान की धारा 19 का नमक खा रहा है या

  • देशद्रोह की धारा का दरवाजा खटखटा रहा है

20 जून को अदालत बताएगी — बयान “राजनीति” था या “रणनीति”, या फिर सीधे “आपदा में अवसर”!

राजनीति में बोलना सबको आता है, पर कब चुप रहना चाहिए — ये ज्ञान बहुत कम लोगों को है।

रॉबर्ट वाड्रा शायद अब सोच रहे होंगे:

“काश मैं  किसी योगा क्लास में इंटरव्यू दे देता।”

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याचिकाकर्ता कौन हैं?

कुलदीप तिवारी, जो इस केस के याचिकाकर्ता हैं, हिन्द साम्राज्य पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। वे ज्ञानवापी, मथुरा और भोजशाला जैसे प्रमुख मंदिर मामलों के भी याचिकाकर्ता रहे हैं।

कुलदीप तिवारी ने याचिका में यह भी कहा कि वाड्रा का बयान विध्वंसक गतिविधियों को प्रेरित करने वाला, अलगाववाद को बढ़ावा देने वाला, और गृह युद्ध जैसे हालात पैदा करने वाला है। उनका आरोप है कि वाड्रा ने आतंकी हमले को “जायज” ठहराने की कोशिश की और हिंदुओं की आस्था का अपमान किया।

इससे पहले, इस मामले को लेकर हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस की अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने लखनऊ हाईकोर्ट में रिट दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने 2 मई 2025 को स्पष्ट आदेश दिया कि रॉबर्ट वाड्रा पर उचित आपराधिक कार्रवाई की जा सकती है।

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