बैंक की किस्त नहीं भरी? तो लखनऊ में हेलमेट से पिटाई तैयार रखिए!

महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह

एक ओर सरकार बैंकों की छवि सुधारने की बात करती है, दूसरी ओर लखनऊ की सड़कों पर कुछ रिकवरी एजेंटों ने ‘बाहुबली स्टाइल’ में कानून की धज्जियां उड़ा दीं। हरदोई के रहने वाले हृदयेश सिंह को लोन की बकाया किस्त की मांग करने आए एजेंटों ने सरेराह पीट दिया।

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रिकवरी या रोबदारी?

हृदयेश सिंह दुबग्गा से आनंदी वाटर पार्क की ओर जा रहे थे। जैसे ही वे आशियाना क्षेत्र के कासाग्रीन मंदिर के पास पहुँचे, दो युवकों ने उन्हें रोका और खुद को बैंक के रिकवरी एजेंट बताया।

जैसे ही हृदयेश ने उनकी पहचान (ID Card) मांगी, बात “बकाया” से “बदतमीज़ी” तक पहुँच गई। ID नहीं दिखाने के बजाय, आरोपियों ने अपने दो और साथियों को बुला लिया। चारों ने मिलकर गाली-गलौज शुरू की और फिर हेलमेट से सिर पर वार करते हुए मारपीट की।

अस्पताल में प्राथमिक उपचार, थाने में रिपोर्ट

घायल अवस्था में हृदयेश सिंह को लोकबंधु अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उन्हें प्राथमिक चिकित्सा दी गई। इसके बाद पीड़ित ने आशियाना थाने में चार अज्ञात आरोपियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।

पुलिस कर रही है जाँच, आरोपी फरार

पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और आरोपियों की तलाश जारी है। हालांकि यह सवाल अभी भी कायम है –
क्या बैंक लोन रिकवरी अब लाठी और हेलमेट से की जाएगी?
अगर हां, तो पहचान पत्र की क्या ज़रूरत और बैंक की नैतिक ज़िम्मेदारी का क्या?

बैंक का काम या बाउंसर की गुंडई?

इस घटना ने न केवल बैंकिंग सेक्टर की साख पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि आम जनता की सुरक्षा भावना को भी चोट पहुँचाई है। आखिरकार, रिकवरी के नाम पर खुलेआम मारपीट और धमकी क्या लाइसेंसी बदमाशी नहीं है?

सरकार और बैंकिंग नियामकों से मांग

  • रिकवरी एजेंटों की पहचान सुनिश्चित हो

  • एजेंटों को ग्राहक से शालीन व्यवहार की ट्रेनिंग दी जाए

  • मारपीट जैसी घटनाओं पर सख्त दंड लागू हो

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