
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद जहां दुनिया भर से निंदा हो रही है, वहीं पाकिस्तान से आ रही प्रतिक्रियाएं एक अलग ही कहानी बयान करती हैं। भारत में पाकिस्तान के पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित और पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर के हालिया बयानों ने इस बात को बल दिया है कि पाकिस्तान की नीति भारत विरोध और कट्टरता के इर्द-गिर्द घूमती है।
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अब्दुल बासित का भड़काऊ बयान: “पाकिस्तान हर भारतीय दुस्साहस का मुँहतोड़ जवाब देगा”
पूर्व उच्चायुक्त अब्दुल बासित ने एक्स पर लिखा:
“मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूँ कि किसी भी तरह के भारतीय दुस्साहस को नाकाम करने के लिए पाकिस्तान हर तरह से तैयार है. मुझे कोई शक नहीं है कि इस बार पाकिस्तान का जवाब मुँहतोड़ होगा।“
यह बयान एक आतंकी हमले के बाद आया, जिसमें 26 निर्दोष पर्यटक मारे गए। सवाल यह है कि क्या यह “जवाब” था? क्या यह वही “मुँहतोड़” तरीका था?
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ओवरसीज़ पाकिस्तानी कन्वेंशन और जनरल मुनीर का ‘टू नेशन थ्योरी’ भाषण
13 से 16 अप्रैल तक इस्लामाबाद में आयोजित हुए ओवरसीज़ पाकिस्तानी कन्वेंशन में जनरल मुनीर ने भारत और हिंदुओं के खिलाफ जमकर जहर उगला। उन्होंने कहा:
“हम एक नहीं दो राष्ट्र हैं। हमारे पूर्वजों का मानना था कि हम हर आयाम में हिन्दुओं से अलग हैं। हमारा मज़हब, रिवाज, परंपरा, सोच और मक़सद सब अलग हैं।“
उन्होंने कश्मीर को पाकिस्तान की “गले की नस” बताते हुए कहा कि कोई भी ताकत उसे अलग नहीं कर सकती।
यह बयान ना केवल भारत की संप्रभुता पर हमला है, बल्कि पाकिस्तान में मौजूद अल्पसंख्यकों, खासकर हिन्दुओं के खिलाफ एक मानसिक हिंसा है।
पाकिस्तान के भीतर से उठी आलोचना की आवाज़ें
पाकिस्तान के कई बुद्धिजीवियों और नागरिक संगठनों ने जनरल मुनीर की टिप्पणी की निंदा की है। उनका कहना है कि इस तरह के बयानों से पाकिस्तान में रहने वाले हिंदू समुदाय के खिलाफ नफरत और हिंसा को बढ़ावा मिलेगा। यह बयान अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को खतरे में डालने वाला है।
क्या पाकिस्तान की मानसिकता ही आतंक की जड़ है?
जब एक देश का पूर्व राजनयिक और वर्तमान सेना प्रमुख सीधे-सीधे भारत के खिलाफ जहर उगलते हैं, तो यह सवाल उठना लाज़मी है — क्या आतंकवाद पाकिस्तान की नीति का हिस्सा बन चुका है?
पहलगाम हमला शायद केवल हथियारों से नहीं, बल्कि पाकिस्तानी मानसिकता और विचारधारा से संचालित था — जो हिन्दू-मुस्लिम, भारत-पाकिस्तान, और कश्मीर को लेकर नफ़रत को पोषित करती है।
जहां भारत शांति और सौहार्द की बात करता है, वहीं पाकिस्तान अब भी “दूसरे राष्ट्र” की थ्योरी से बंधा हुआ है। जनरल मुनीर और अब्दुल बासित के बयान सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि पाकिस्तान की रणनीतिक सोच का आईना हैं। भारत को इन विचारों का जवाब केवल बयान से नहीं, बल्कि राजनयिक, सैन्य और वैश्विक मंचों पर ठोस नीति के ज़रिए देना होगा।