
अमेरिकी राष्ट्रपति Donald Trump एक बार फिर Global Politics में हलचल मचा रहे हैं। इस बार मामला सिर्फ बयानबाज़ी का नहीं, बल्कि 30 देशों में तैनात अनुभवी अमेरिकी राजदूतों की वापसी का है। White House ने इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिसने Washington से लेकर Beijing और Moscow तक चर्चा तेज कर दी है।
ये “आम” राजदूत नहीं हैं
खास बात यह है कि जिन राजदूतों को वापस बुलाया जा रहा है, वे कोई Political Appointment नहीं बल्कि career diplomats हैं—जिन्होंने दशकों तक US foreign policy को ज़मीनी स्तर पर संभाला है। यानी, ये वो लोग हैं जो कैमरों से दूर रहकर असली diplomacy करते हैं।
Senator Jean Shaheen का तीखा वार
इस फैसले का सबसे मुखर विरोध US Senator Jean Shaheen ने किया है। उन्होंने सीधे-सीधे कहा। “Experienced ambassadors को हटाकर President Trump, अमेरिका की global leadership को China और Russia के हाथों सौंप रहे हैं।”
Shaheen के मुताबिक, यह कदम ऐसे वक्त में उठाया गया है जब दुनिया पहले ही power rebalancing के दौर से गुजर रही है।
Strategic Reset या Self-Goal?
Trump प्रशासन इसे “policy realignment” बता रहा है, लेकिन critics इसे diplomatic self-goal मान रहे हैं।
सवाल ये है, क्या अमेरिका जानबूझकर पीछे हट रहा है? या फिर यह “America First” का नया, ज़्यादा risk-heavy version है?
चौकस नज़र रखने वाले analysts इसे China-Russia Opportunity Window बता रहे हैं।
Global Impact: किसे मिलेगा फायदा?
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China: Belt & Road diplomacy को और push

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Russia: Strategic vacuum में influence बढ़ाने का मौका
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Developing Nations: US engagement कम, alternatives ज़्यादा
यानी diplomacy की chessboard पर अमेरिका ने अपने कुछ experienced pieces खुद ही हटा लिए हैं।
Donald Trump का यह फैसला short-term political strategy हो सकता है, लेकिन long-term global leadership के लिहाज़ से यह अमेरिका के लिए महंगा साबित हो सकता है।
और दुनिया? वह खाली कुर्सियों को भरने के लिए पहले से तैयार खड़ी है।
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