
संसद के शीतकालीन सत्र का माहौल आज कुछ अलग था — राजनीति की गरमाहट कम, वंदे मातरम् की भावनाएं ज्यादा।
लोकसभा में जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 150 साल पूरे होने पर चर्चा शुरू की, पूरा सदन इतिहास की यात्रा पर निकल पड़ा।
“वंदे मातरम् स्वतंत्रता आंदोलन की आवाज बना” — PM मोदी
टाइम: 12:52 IST
PM मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय ने जब वंदे मातरम् लिखा, तो यह सिर्फ कविता नहीं थी — यह ब्रिटिश शासन के खिलाफ उठती हुई पहली गूंज थी।
उन्होंने कहा:
- अंग्रेज भारत को सांस्कृतिक रूप से तोड़ने में लगे थे
- कुछ भारतीय अंग्रेजी में डूब चुके थे
- ऐसे समय में वंदे मातरम् ने देशभक्ति की चिंगारी जलाई
प्रधानमंत्री के शब्दों में, “अंग्रेजों की जड़ें हिला देने वाला मंत्र था — वंदे मातरम्!”
जब इस गीत की गूंज बढ़ी, तो अंग्रेजों ने इसे बैन कर दिया… और अखबारों को भी बंद कर दिया, क्योंकि उनका नाम वंदे मातरम् था।
“वंदे मातरम् भारत मां का बेटा है” — पीएम का भावनात्मक संदर्भ
टाइम: 12:45 IST
प्रधानमंत्री ने कहा कि वंदे मातरम् सिर्फ देशभक्ति नहीं, बल्कि “भारतीयों की ओर से भारत माता के लिए पुत्रधर्म” था। उन्होंने वेद काल का हवाला देते हुए कहा — धरती मेरी माता है और मैं उसका पुत्र।
यानी, वंदे मातरम् ने मां भारती की बेड़ियाँ काटने में “बेटे” की भूमिका निभाई।
150 साल की यात्रा: कोई पक्ष-विपक्ष नहीं — सिर्फ राष्ट्रभावना
टाइम: 12:24 IST
मोदी बोले, “आज मैं राजनीति नहीं, वंदे मातरम् की 150 साल की यात्रा पर चर्चा करने आया हूं।”
उन्होंने बताया कि:

- भारत आजादी के 75 साल पूरे कर चुका
- गुरु तेग बहादुर का 350वां बलिदान दिवस
- सरदार पटेल और बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती
इन सबके बीच वंदे मातरम् का 150 साल पूरा होना “राष्ट्रीय गर्व का क्षण” है।
और सबसे बड़ा वादा:
“2047 में भारत विकसित राष्ट्र होकर रहेगा।”
आपातकाल, सेंसरशिप और संघर्ष—वंदे मातरम् की लड़ाई जारी रही
टाइम: 12:19 IST
PM मोदी ने याद दिलाया कि
- जब वंदे मातरम् 50 साल का था — देश गुलाम था
- जब 100 साल का हुआ — आपातकाल लगा था
- संविधान का गला घोंटा गया
- सेंसरशिप बढ़ी
- लोकतंत्र पर कालिख पोती गई
लेकिन इस मंत्र ने देशभक्तों को त्याग, साहस और लड़ने की प्रेरणा दी।
“सदन गर्व करे — हम इतिहास का हिस्सा हैं”
टाइम: 12:16 IST
PM मोदी ने संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा, “यह गर्व की बात है कि देशवासी वंदे मातरम् के 150 साल के गवाह बन रहे हैं।”
और आज का सदन भी इसका हिस्सा बना। आज विपक्ष भी उतना ही चुप था जितना अंग्रेजों को गाना सुनकर डर लग रहा था!
150 साल बाद भी वही जोश, वही भाव… बस अंग्रेज नहीं हैं, पर गूंज आज भी उतनी ही भारी है।
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