
देश की जानी-मानी रियल एस्टेट कंपनी जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड एक बार फिर सुर्खियों में है — और इस बार वजह है ₹12000 करोड़ का मनी लॉन्ड्रिंग घोटाला!
ED (प्रवर्तन निदेशालय) ने कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर मनोज गौड़ को गिरफ्तार कर लिया है। आरोप हैं कि मनोज गौड़ और जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) के जरिए घर खरीदारों के पैसे की हेराफेरी की गई।
यानि “आपका सपना घर उनका इन्वेस्टमेंट फंड बन गया!”
ED का ताबड़तोड़ एक्शन — 15 ठिकानों पर छापेमारी
मामला नया नहीं है। 23 मई 2025 को ही ED ने PMLA कानून के तहत दिल्ली, मुंबई समेत 15 ठिकानों पर छापेमारी की थी।
छापों में ED ने बरामद किए थे —
₹1.70 करोड़ कैश,
कई अहम डॉक्यूमेंट,
इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस और
बैंक रिकॉर्ड्स।
जांच में सामने आया कि कंपनी ने जिन पैसों से फ्लैट बनवाने थे, वो पैसे कहीं और “घुमा दिए”, मतलब — “फ्लैट नहीं, फ्रॉड बना दिया!”
घर खरीदार बने सबसे बड़े पीड़ित
कंपनी के हजारों होम बायर्स अब भी अपने घरों का इंतज़ार कर रहे हैं। कुछ लोगों के पास सिर्फ रसीदें और सपनों की फाइलें बची हैं।
अब ED की गिरफ्तारी से उम्मीद जगी है कि शायद “कंक्रीट की जगह इंसाफ की नींव” रखी जाए।

ED का कहना है…
ED का दावा है कि JP Associates ने प्रोजेक्ट फंड्स को डाइवर्ट कर दूसरी कंपनियों में निवेश के नाम पर घपला किया।
मनोज गौड़ को अब PMLA की धारा के तहत पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है।
JP Infratech का डूबता भरोसा
एक वक्त में “लक्जरी हाउसिंग के सिंबल” माने जाने वाले JP Group की इमेज अब “लोन और लॉन्ड्रिंग” के चक्रव्यूह में फंसी है।
अब सबकी निगाहें इस बात पर हैं कि ED कब तक इस ₹12000 करोड़ की डोर सुलझा पाती है।
रियल एस्टेट की दुनिया में जहां “स्काईव्यू प्रोजेक्ट्स” की बात होती है, वहीं JP Infratech का ये मामला बताता है कि कभी-कभी “नींव ही कमजोर होती है!”
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