हापुड़ का ‘रक्त-गांव’: पुलिस के सामने चला पत्थर और लाठी का खेल!

अजमल शाह
अजमल शाह

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के मोहम्मदपुर रूस्तमपुर गांव में शनिवार रात एक मामूली बहस ने ऐसा भयानक रूप लिया कि गांव की गलियां खूनी रणभूमि में तब्दील हो गईं।
एक दलित परिवार के धार्मिक अनुष्ठान के दौरान शुरू हुआ विवाद, सांप्रदायिक हिंसा में तब्दील हो गया — लाठियां, डंडे और पत्थरों की बरसात से गांव थर्रा उठा।

हिस्ट्रीशीटर की एंट्री और दलित युवक पर हमला

सिंभावली के सिखेड़ा गांव निवासी सागर जब अपने साथी के साथ गांव के बाहर गया था, तभी एक हिस्ट्रीशीटर बदमाश ने अपने साथियों संग पहुंचकर गाली-गलौज और मारपीट शुरू कर दी।
विरोध करने पर सागर को बेरहमी से पीटा गया। इसके बाद बदमाशों ने दलित समुदाय के घरों पर हमला बोल दिया।

महिलाएं-बच्चे भी नहीं बचे, पूजा में भी तोड़फोड़

आरोप है कि हमलावरों ने घरों में घुसकर धार्मिक पूजा कर रहे लोगों को पीटा, तोड़फोड़ की और महिलाओं व बच्चों तक को नहीं बख्शा
पूरे गांव में चीख-पुकार और अफरातफरी मच गई, लोग जान बचाने के लिए घरों से भागते नजर आए।

पुलिस की मौजूदगी में चलता रहा पत्थरबाज़ी शो

सबसे चौंकाने वाली बात ये रही कि पुलिस मौके पर मौजूद थी, बावजूद इसके पत्थरबाज़ी और मारपीट जारी रहीबहादुरगढ़ थाना पुलिस के सामने ही उपद्रवियों ने तांडव मचाया। हालात बेकाबू होते देख अतिरिक्त फोर्स बुलानी पड़ी।

सीओ ने लिया चार्ज, बोलीं – “कोई नहीं बचेगा”

सीओ स्तुति सिंह मौके पर पहुंचीं और बयान दिया:

“स्थिति अब नियंत्रण में है। वीडियो फुटेज और मोबाइल क्लिपिंग के आधार पर दोषियों की पहचान की जा रही है।
कानून से ऊपर कोई नहीं।”

गांव में रातभर पुलिस की गश्त जारी रही और हर संदिग्ध गतिविधि पर नजर रखी गई।

गांव बना छावनी, सन्नाटा और खौफ का माहौल

गढ़, सिंभावली और बहादुरगढ़ थानों की पुलिस ने पूरे गांव को घेर लिया है। गांव में अब भी डर और सन्नाटा पसरा हुआ है। लोग घरों में कैद हैं, बाजार और सड़कें पूरी तरह वीरान हैं।

बड़ा सवाल: पुलिस के सामने हिंसा क्यों नहीं रुकी?

यह घटना हापुड़ की लॉ एंड ऑर्डर व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा करती है। जब पुलिस मौजूद थी, तो क्या कारण था कि पत्थर चलते रहे, लाठियां उठती रहीं, और गांव जलता रहा?

हापुड़ की यह घटना एक चेतावनी है — जब संवेदनशील इलाकों में विवाद होता है, तो प्रशासन को लापरवाह नहीं, बल्कि अलर्ट मोड में होना चाहिए।
आज मोहम्मदपुर रूस्तमपुर में जो हुआ, वो सिर्फ दो समुदायों की लड़ाई नहीं, बल्कि कानून और व्यवस्था की विफलता का आईना है।

“Coldrif” बना ‘Deathdrif’: बच्चों की जान ले गया कफ सिरप!

Related posts

Leave a Comment