थाना परिसर में ‘मंदिर मार्केटिंग’! भगवान के नाम पर दुकानदारी चालू है…

शालिनी तिवारी
शालिनी तिवारी

थाना बबीना परिसर की आराजी संख्या 1626 (9.30 एकड़) सरकारी रिकॉर्ड में पुलिस विभाग के नाम पर है। लेकिन असलियत में ज़मीन पर क़ब्ज़ा जमा रखा है — “श्री त्रिलोकीनाथ मंदिर प्रबंधन समिति बबीना” ने। अब सवाल ये उठ रहा है कि मंदिर चल रहा है या मार्केटिंग ऑफिस?

पुलिस बैरक के बगल में चल रही दुकानें न सिर्फ धार्मिक आस्था पर सवाल उठाती हैं, बल्कि यह बताती हैं कि ‘किराया वसूली’ में भगवान भी शामिल कर लिए गए हैं!

बिना NOC के पंजीकरण, फिर भी हो गया नवीनीकरण!

समिति ने बिना पुलिस विभाग की अनुमति (NOC) लिए पंजीकरण करवा लिया, और तो और 2024 में उसका रिन्यू भी हो गया।
अब ये समझ नहीं आ रहा – मंदिर प्रबंधन चल रहा है या किसी कॉर्पोरेट फर्म का स्मार्ट ब्रांच ऑफिस?

पंजीकरण नंबर 1299/1988-89 के नाम पर भ्रामक पता और दस्तावेज़ पेश किए गए। सब कुछ मंदिर के नाम पर, लेकिन नीयत पूरी बाज़ारी!

भक्तों से नहीं, किराएदारों से जुड़ाव!

शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि समिति के सदस्य मंदिर की आड़ में बनी दुकानों से हर महीने किराया वसूलते हैं।

कहने को आस्था का केंद्र, लेकिन काम पूरा रेंटल हब वाला! प्रवचन की जगह प्रचार, और आरती की जगह रसीदें मिल रही हैं।

पुराना ट्रैक रिकॉर्ड: समिति पर पहले भी हैं गंभीर केस

2015 – निर्माण हादसा

मंदिर में अवैध निर्माण के दौरान छज्जा गिरने से 3 मौतें।
 2021 – अतिक्रमण मामला

आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल

कहावत सही है – “जहाँ ट्रस्ट होता है, वहाँ ट्रिक भी छिपी होती है!”

थाना प्रशासन की कार्रवाई की सिफारिश

बबीना थाना प्रशासन ने उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजकर दो टूक कह दिया —

समिति का गठन अवैध है

पंजीकरण रद्द किया जाए

दोषियों पर कठोर कार्रवाई हो

सवाल उठता है – थाना खुद की ज़मीन बचाने को F.I.R. की शरण में, तो आम जनता कहां जाएगी?

आस्था के नाम पर अतिक्रमण? भगवान भी कह रहे होंगे – ‘मुझे तो दुकान में बेच दिया!’

जिस ज़मीन पर पुलिस चौकी हो, वहाँ अगर ‘किराया मंडी’ बन जाए, तो इसे ‘भक्ति में बिजनेस का बोलबाला’ नहीं तो और क्या कहें?
अब देखना ये है कि कानून की मूर्ति – जिसे हम Lady Justice कहते हैं – आंखों पर बंधी पट्टी हटाकर ये दुकानें देखती है या नहीं!

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