
बरेली, उत्तर प्रदेश – बीते शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद शहर की फिज़ा अचानक गरमा गई। मौलाना तौकीर रजा खान के आह्वान पर जुटी भीड़ ने ‘I Love Mohammad’ के समर्थन में ऐसा जलवा दिखाया कि सड़कों पर कानून-व्यवस्था को भी पसीने आ गए।
सिर्फ नारेबाज़ी तक बात रुकती तो ठीक था, पर मामला झड़प और बवाल तक जा पहुंचा। और जैसे हर कहानी में एक ट्विस्ट होता है, वैसे ही इस मामले में भी—झड़प हुई, लाठी चली, और गिरफ्तारियां हुईं।
UP पुलिस vs उपद्रवी: 22 और गिरफ्तार, अब तक कुल 34 जेल में
बवाल की जांच तेज़ हुई तो 22 और लोगों की गिरफ्तारी हुई। अब तक 34 आरोपी, जिनमें मौलाना तौकीर रजा भी शामिल हैं, जेल पहुंच चुके हैं।
पुलिस ने बताया कि इन सभी पर शहर में बवाल फैलाने, लोगों को भड़काने, और पुलिस पर हमला करने के आरोप हैं।
वैसे, आरोपियों को जब मीडिया के सामने लाया गया तो उन्होंने क्लासिक मोड ऑन किया—हाथ जोड़कर बोले, “माफ़ कर दो हुज़ूर, बहकावे में आ गए थे, अब कभी नहीं करेंगे।”
कैमरे के सामने पश्चाताप का नाटक या सच्ची पछतावा?
जब एसपी सिटी ने आरोपियों को मीडिया के सामने पेश किया, तो वे ऐसे शर्मिंदा दिखे जैसे बच्चा पेंसिल चुराते पकड़ा गया हो।
एक आरोपी ने कहा, “अब कुछ नहीं करेंगे, गलती हो गई।”
सवाल ये है कि जब बवाल कर रहे थे तब ये ज्ञान कहां था? अब सोशल मीडिया पर कुछ लोग पूछ रहे हैं—“क्या ये स्क्रिप्ट हर बार एक जैसी होती है?”
‘चोटीकटवा’ फिर से पकड़ा गया!
भीड़ में शामिल चक महमूद इलाके का मोईन उर्फ चोटीकटवा—ये नाम जितना मज़ेदार है, रिकॉर्ड उतना ही खतरनाक। उसके खिलाफ पहले भी कई केस दर्ज हैं।
मोईन की आदत बन गई है, माहौल खराब करना। लेकिन इस बार UP पुलिस ने सीधा जेल का रास्ता दिखा दिया।

पार्षद भी नहीं बचे, पांच वार्डों की भूमिका संदिग्ध
शहर में बवाल ऐसे ही नहीं हुआ—पुलिस की रिपोर्ट के अनुसार, सात थाना क्षेत्रों के पांच पार्षदों की भूमिका भी शक के घेरे में है।
एक पार्षद गिरफ्तार हो चुका है। बाकी 76 नामजद और संदिग्ध लोग अब पुलिस की रडार पर हैं। यानी राजनीति और बवाल का मेल—UP में यह कोई नया फॉर्मूला नहीं है।
वजह? कुछ नहीं… बस बहकावे में आ गए थे
गिरफ्तार नौजवानों से जब पूछा गया कि बवाल क्यों किया, तो जवाब आया:
“बहक गए थे… अब कभी नहीं करेंगे, कसम से।”
अब जनता कह रही है—“हर शुक्रवार को बहक जाते हो क्या?”
धर्म, राजनीति और बवाल – पुरानी स्क्रिप्ट, नए चेहरे
इस पूरे घटनाक्रम ने फिर दिखा दिया कि कैसे धार्मिक भावनाओं की आड़ में राजनीति की रोटियाँ सेंकी जाती हैं और कानून-व्यवस्था को चुनौती दी जाती है।
मौलाना तौकीर रजा की गिरफ्तारी ने इस मामले को और भी गरमाया है। लेकिन शायद अब वक्त आ गया है जब जनता सिर्फ “बहकावे” की दलीलों को हँसी में उड़ाने के बजाय कानूनी कार्रवाई की गंभीरता समझे।
“मन की बात से मेलोनी की बात तक – मोदी जी की कलम इंटरनेशनल हो गई!”