“नाम लिखें मोहम्मद और दर्ज हो जाए केस? यूपी में पोस्टर भी जुर्म बन गया!”

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

शनिवार को लखनऊ की सड़कों पर सुमैया राणा के नेतृत्व में मुस्लिम महिलाओं ने जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारी महिलाएं ‘I Love Mohammad’ लिखी तख्तियां लेकर विधान भवन गेट नंबर-4 पर जमा हुईं और नारेबाज़ी करते हुए हालिया घटनाओं पर गंभीर नाराजगी जताई।

इनका सीधा आरोप था कि पैगंबर मोहम्मद का नाम लेना अब अपराध बन गया है — क्योंकि कानपुर में रबी-उल-अव्वल के मौके पर एक धार्मिक बैनर लगाने पर मुस्लिम युवकों के खिलाफ केस दर्ज कर दिया गया।

“भारत धर्मनिरपेक्ष है या डरावना?” – सुमैया राणा का सवाल

प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहीं सुमैया राणा, जो शायर मुनव्वर राणा की बेटी हैं, ने कहा:

“किसी धर्म के पैगंबर का नाम लेने पर FIR? ये भारत की धर्मनिरपेक्षता का कैसा मज़ाक है? क्या अब मोहब्बत भी जुर्म है?”

उन्होंने कहा कि पैगंबर मोहम्मद को पूरी दुनिया में शांति और करुणा का प्रतीक माना जाता है और उनका नाम लेना भारत के संविधान और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत आता है।

‘विशेष टारगेटिंग’?

सुमैया ने उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था को “शून्य” बताया और आरोप लगाया कि:

पुलिस एक खास समुदाय पर ही डंडा चलाती है। I Love Mohammad लिखने वालों को पकड़ लिया जाता है। और लोकतंत्र के नाम पर खामोशी ओढ़ ली जाती है।

प्रदर्शन में पुलिस के साथ झड़प — हिरासत में महिलाएं

प्रदर्शन के दौरान पुलिस और महिलाओं के बीच धक्का-मुक्की हुई। प्रशासन ने प्रदर्शन स्थल बदलने का प्रयास किया, लेकिन महिलाओं ने मौके पर ही डटे रहने की कोशिश की। आखिरकार, पुलिस ने प्रदर्शनकारी महिलाओं को हिरासत में लेकर इको गार्डन भेज दिया।

“विश्व की शीर्ष हस्तियों में पहला नाम मोहम्मद का” — सुमैया

सुमैया राणा ने अपनी बात रखते हुए कहा:

“विश्व की टॉप 10 महान हस्तियों में पैगंबर मोहम्मद साहब का नाम सबसे ऊपर आता है। वह शांति का पैगंबर हैं। और आज उनके नाम पर मुकदमा?”

विवाद क्यों ज़रूरी है?

यह मामला सिर्फ़ एक बैनर या प्रदर्शन का नहीं है — यह प्रश्न है भारत की धार्मिक स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की आज़ादी और लोकतांत्रिक मूल्यों का।

अगर पैगंबर मोहम्मद के नाम पर प्यार जताना जुर्म है, तो फिर कोई भी धार्मिक पहचान सार्वजनिक तौर पर सुरक्षित नहीं बची।

क्या मोहब्बत अब इजाज़त लेकर होगी?

भारत जैसे विविधता भरे देश में, जहां हर मज़हब को बराबरी का दर्जा दिया गया है, वहां यह घटना एक संवेदनशील और जरूरी बहस को जन्म देती है।

अब सवाल ये है, क्या सिर्फ ‘मोहब्बत’ जताना भी एफआईआर की वजह बन जाएगा? या फिर यह समय है संवैधानिक मूल्यों और धार्मिक आज़ादी को फिर से मजबूत करने का?

“पहले बेटियाँ डरती थीं, अब बेटियाँ सड़कें तय करती हैं – Mission Shakti‑5.0 के रंग!”

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