गोरखपुर की किस्मत बदलेंगे ये 3 नए हाईवे! रवि किशन-गडकरी मुलाकात

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

पूर्वांचल के औद्योगिक केंद्र के रूप में उभरते गोरखपुर को जल्द ही तीन बड़ी सड़क परियोजनाओं की सौगात मिल सकती है। सांसद रवि किशन शुक्ला ने दिल्ली में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से मुलाकात कर तीन अहम परियोजनाओं पर विस्तार से चर्चा की।

1. गोरखपुर इंडस्ट्रियल बाईपास: NH-24 और NH-27 को जोड़ेगा नया फोरलेन रोड

रवि किशन ने बताया कि गोरखपुर इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (गीडा) और आसपास के विकसित हो रहे औद्योगिक सेक्टरों को जोड़ने के लिए एक फोरलेन “इंडस्ट्रियल बाईपास” की जरूरत है। यह बाईपास NH-24 और NH-27 को सीधे जोड़ेगा, जिससे माल ढुलाई आसान होगी और सहजनवा क्षेत्र में लगने वाले ट्रैफिक जाम से राहत मिलेगी।

2. NH-27 को सिक्स लेन में अपग्रेड करने की मांग

सांसद ने कहा कि गोरखपुर-लखनऊ हाईवे (NH-27) को फोरलेन से सिक्स लेन में बदले जाने की सख्त जरूरत है।

“इस मार्ग से न सिर्फ अयोध्या जाने वाले श्रद्धालु, बल्कि नेपाल के लिए व्यापारिक वाहन और बुद्ध सर्किट के पर्यटक भी गुजरते हैं। बढ़ते ट्रैफिक को देखते हुए इसे अपग्रेड करना समय की मांग है।”

3. NH-24 से शहर तक सीधी पहुंच: नया लिंक रोड और राप्ती नदी पर पुल की मांग

रवि किशन ने तीसरी परियोजना के तहत NH-24 (वाराणसी-गोरखपुर हाईवे) से गोरखपुर शहर को जोड़ने के लिए एक नया लिंक रोड विकसित करने का सुझाव दिया।
उन्होंने कहा कि ताल-नंदौर क्षेत्र में प्रस्तावित इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम और अन्य विकास परियोजनाओं को ध्यान में रखते हुए राप्ती नदी पर पुल बनाकर सिक्टौर चौराहा या खोराबार-तिराहा तक एक वैकल्पिक मार्ग बनाया जाना चाहिए।

गडकरी ने दिए तत्काल कार्रवाई के संकेत

नितिन गडकरी ने सांसद की मांगों को गंभीरता से सुना और भरोसा दिलाया कि इन परियोजनाओं पर जल्द ही संबंधित विभागों को कार्रवाई के निर्देश दिए जाएंगे।

रवि किशन बोले— “गोरखपुर बन रहा है पूर्वांचल की औद्योगिक राजधानी”

“प्रधानमंत्री मोदी जी का 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का सपना तभी पूरा होगा, जब शहरों की कनेक्टिविटी बेहतर होगी।
गोरखपुर आज उस दिशा में आगे बढ़ रहा है और इन परियोजनाओं से गोरखपुर के साथ-साथ 10 जिलों को सीधा लाभ मिलेगा।”

गोरखपुर की कनेक्टिविटी सुधारने और औद्योगिक विकास को रफ्तार देने के लिए ये तीनों सड़क परियोजनाएं बेहद अहम हैं।
अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि सरकारी मशीनरी कितनी जल्दी इनपर काम शुरू करती है।

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