आज़ादी का जश्न या असहमति की गूंज? नागालैंड में टकराव की स्थिति

Lee Chang (North East Expert)
Lee Chang (North East Expert)

नागालैंड में 79वें स्वतंत्रता दिवस से ठीक पहले, राज्य में दो अलग-अलग समूहों — उग्रवादी संगठनों और आदिवासी प्रतिनिधियों — द्वारा बहिष्कार की चेतावनी से सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड में आ गई हैं।

ADGP रेनचामो पी. किकोन ने पुष्टि की कि संवेदनशील क्षेत्रों — खासकर असम-नागालैंड बॉर्डर और म्यांमार इंटरनेशनल बॉर्डर — पर अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है।

NSCN और ULFA का अपील: समारोह में न जाएं लोग

NSCN (Yung Aung) और ULFA-I जैसे उग्रवादी गुटों ने संयुक्त रूप से लोगों से अपील की है कि वे 15 अगस्त के स्वतंत्रता दिवस समारोहों से दूर रहें।
इस अपील ने सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि कानून व्यवस्था नियंत्रण में है।

संगठनों का असहमति का संदेश – नौकरी आरक्षण नीति पर नाराज़गी

CORRP (5-जनजातियों की समिति) — जिसमें अंगामी, एओ, लोथा, रेंगमा और सुमी जनजातियाँ शामिल हैं — ने भी सरकारी समारोहों में भाग न लेने का ऐलान किया है।
उनकी नाराज़गी राज्य की आरक्षण नीति की समीक्षा न होने को लेकर है।

“सरकार ने हमारी मांगों को नजरअंदाज़ किया है, इसलिए हम समारोहों में भाग नहीं लेंगे,” – GP झिमोमी, CORRP

छात्रों और शिक्षण संस्थानों को भी चेतावनी

पांच जनजातियों के छात्र संगठनों ने कोहिमा, दीमापुर, मोकोकचुंग, चुमौकेदिमा, निउलैंड और वोखा जिलों में शिक्षण संस्थानों और छात्रों को सरकारी कार्यक्रमों में भाग लेने से रोकने के लिए नोटिस जारी किए हैं।

सरकार की सख्ती – समारोह में अनिवार्य उपस्थिति का आदेश

हालात की संवेदनशीलता के बावजूद, नागालैंड सरकार ने सभी सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को स्वतंत्रता दिवस समारोह में अनिवार्य उपस्थिति सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है।

नागालैंड में यह स्वतंत्रता दिवस न सिर्फ़ आज़ादी का उत्सव, बल्कि असहमति, असुरक्षा और जनजातीय असंतोष का भी प्रतिबिंब बन गया है।
सरकार को चाहिए कि वह सुरक्षा बनाए रखने के साथ-साथ जनजातीय आवाज़ों को सुने और संवैधानिक संवाद की ओर बढ़े।

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