
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ ने एक अहम बयान देते हुए कहा है कि उनका देश सितंबर 2025 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान फ़लस्तीन को एक स्वतंत्र राष्ट्र के तौर पर मान्यता देगा।
यह फैसला ऐसे समय पर लिया गया है जब मध्य पूर्व में युद्ध, भूख और कुपोषण से हालात बेहद गंभीर हैं।
“दो देशों की मान्यता ही एकमात्र समाधान है, जो ग़ज़ा में पीड़ा और संघर्ष को रोक सकता है।”
– एंथनी अल्बनीज़
फ़लस्तीनी प्राधिकरण ने दिए भरोसे: कम हथियार, चुनाव और इसराइल को मान्यता
पीएम अल्बनीज़ ने बताया कि फलस्तीनी अथॉरिटी (PA) ने ऑस्ट्रेलिया को कुछ अहम संधियों और सुधारों का आश्वासन दिया है:
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सैन्य और हथियारों में कमी लाना
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जल्द आम चुनाव कराना
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इसराइल के अस्तित्व को स्वीकार करना
यह कदम ऑस्ट्रेलिया की उस नीति का हिस्सा है, जो “दो राष्ट्र समाधान” को मध्य पूर्व की शांति का मूल आधार मानती है।
इसराइल नाराज़: कहा – “ये आतंक को इनाम देना है”
ऑस्ट्रेलिया के इस बयान के बाद इसराइल ने कड़ा विरोध जताया है। इसराइली सरकार ने कहा कि फलस्तीन को इस वक्त मान्यता देना “आतंकवाद को इनाम” देने जैसा है। दरअसल, ग़ज़ा में जारी संघर्ष और हमास की भूमिका को लेकर इसराइल लगातार अंतरराष्ट्रीय दबाव में है।

ग़ज़ा में भूख से 5 और मौतें, 61,000 से ज्यादा लोगों की जान गई
ग़ज़ा में हालात दिन-ब-दिन बदतर होते जा रहे हैं। हमास-नियंत्रित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार:
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अब तक 61,000 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं
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सिर्फ इस हफ्ते भूख और कुपोषण से 5 और मौतें हुईं
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मानवीय संकट की स्थिति और भी भयावह हो गई है
क्या बढ़ेगा ‘दो राज्य समाधान’ की ओर समर्थन?
इससे पहले ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा भी फ़लस्तीन को स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता देने का संकेत दे चुके हैं। अब ऑस्ट्रेलिया के इस खुले ऐलान के बाद यह सवाल उठने लगे हैं:
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क्या अमेरिका पर भी दबाव बढ़ेगा?
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क्या इससे UNGA में दो-राष्ट्र प्रस्ताव को बल मिलेगा?
मोहन भागवत बोले: स्वास्थ्य और शिक्षा आम आदमी की पहुंच से बाहर