मोहन भागवत बोले: स्वास्थ्य और शिक्षा आम आदमी की पहुंच से बाहर

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को इंदौर में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि आज के भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य सबसे बड़ी ज़रूरत बन चुके हैं — लेकिन दुर्भाग्य से ये दोनों आम आदमी की पहुंच से बाहर हो गए हैं।

“आदमी अपना घर बेच देगा, लेकिन बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाएगा। घर बेच देगा, लेकिन इलाज करवाएगा।” – मोहन भागवत

शिक्षा के नाम पर EMI और स्वास्थ्य के नाम पर मेडिकल लोन

भागवत का बयान उस सच्चाई को दर्शाता है, जिसे देश का हर मध्यम वर्गीय परिवार रोज़ जीता है। आज एक अच्छी यूनिवर्सिटी की फीस देखो, तो लगता है जैसे डिग्री नहीं, चांद खरीद रहे हैं। और अगर किसी को कैंसर हो गया, तो मेडिकल बिल देखकर पूरा खानदान ICU में चला जाता है — बिना इलाज के।

अस्पताल नहीं, ‘होटल’ बन गए हैं – भागवत का तंज

भागवत ने कहा कि आज चिकित्सा का केंद्रीकरण हो गया है। “अच्छे इलाज के लिए सिर्फ 8-10 शहर ही बचे हैं। वहाँ जाना, रुकना, इलाज कराना – ये सब मिलाकर परिवार के लिए ट्रिप नहीं, टेंशन पैकेज बन जाता है।”

मतलब, इलाज करवाने जाओ तो घर बेचो, और अगर अस्पताल में रुकना पड़े, तो लॉजबुक भी साथ ले जाओ — ऐसा है हाल।

व्यवसाय बन चुकी है मेडिकल और एजुकेशन इंडस्ट्री?

भागवत ने इशारा किया कि शिक्षा और स्वास्थ्य में ‘वाणिज्यीकरण’ बढ़ रहा है, जिससे सिर्फ सुविधा नहीं, “सेलेक्टेड सुविधा” रह गई है – जो पैसे वाला है वो बचेगा, बाकियों को योग और घरेलू नुस्खों की शरण में जाना पड़ेगा।

अब सवाल ये नहीं कि क्या इलाज मंहगा है, सवाल ये है कि…

“क्या इलाज सिर्फ उनके लिए है, जिनके पास बीमा और बैंक बैलेंस दोनों हैं?”
“क्या शिक्षा अब सिर्फ उन्हीं की है, जिनके पास कोचिंग ऐप्स का सब्सक्रिप्शन है?”

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