
29 जुलाई 2025 को संसद के दोनों सदनों में हलचल सिर्फ बिलों या नीति पर नहीं थी — जंग और जवाबदेही की मांग जोर पकड़ चुकी थी। 22 अप्रैल को हुए पहलगाम आतंकी हमले और उसके जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की कार्रवाई पर पक्ष-विपक्ष आमने-सामने दिखे। सवाल उठे, आँसू बहाए गए, आंकड़े पेश हुए, और इतिहास से लेकर भूगोल तक खंगाला गया।
ऑपरेशन सिंदूर क्या है? सरकार का दावा क्या है?
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा:
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22 अप्रैल को पहलगाम में आतंकियों ने निर्दोष पर्यटकों पर हमला किया।
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हमला पाकिस्तान से संचालित लश्कर-ए-तैयबा के तीन आतंकियों ने किया।
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25 भारतीय और 1 नेपाली नागरिक की मौत हुई।
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30 अप्रैल को पीएम मोदी ने सेना को ‘फ्री हैंड’ दिया।
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7 मई को भारत ने पाकिस्तान के अंदर 100 KM भीतर जाकर 9 आतंकी ठिकानों को तबाह किया।
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11 में से 8 एयरबेस पूरी तरह मिट्टी में मिलाए गए।
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किसी सिविलियन को नुकसान नहीं पहुंचा — सिर्फ आतंकी मारे गए।
“ये बदला सिर्फ 22 अप्रैल का नहीं था, ये जवाब था पिछले 20 साल के आतंकवाद का।”
विपक्ष का हमला – “कौन जिम्मेदार है?”
खड़गे:
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“सीजफायर की घोषणा अमेरिका से क्यों हुई? क्या भारत अब स्वतंत्र निर्णय नहीं लेता?”
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“गृह मंत्री इस्तीफा क्यों नहीं देते, जब खुफिया तंत्र बार-बार विफल हो रहा है?”
प्रियंका गांधी:
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“मेरे पिता आतंकवाद में मारे गए, मैं शोक और दर्द समझती हूं। लेकिन सरकार जनता को अकेला छोड़ रही है।”
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“घाटी में 1 घंटे तक नरसंहार चला, कोई सुरक्षाबल मौके पर नहीं पहुंचा। ये सिस्टम की नाकामी नहीं तो और क्या?”
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“TRF को 2023 में बैन किया गया, जबकि वो 2019 से हमले कर रहा था। क्या एजेंसियां सो रही थीं?”
“श्रेय लेने की होड़ है, लेकिन जवाबदेही लेने से डरते हैं।”
डेटा वॉर – किसका कार्यकाल ज्यादा सुरक्षित रहा?
मुद्दा | कांग्रेस (2004–14) | मोदी सरकार (2015–25) |
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आतंकी हमले | 7217 | 2150 |
नागरिकों की मौत | 1777 | 357 |
जवानों की मौत | 1060 | 542 |
आतंकी ठिकानों का खात्मा | — | +123% बढ़ोतरी |
बड़ी आतंकी घटनाएं | मुंबई 2008, संसद हमला आदि | पुलवामा, उरी, पहलगाम 2025 |
“जो आतंकवादी चिदंबरम के वक्त पाले गए, उन्हें मोदी सरकार ने 2025 में मिटा दिया।”
ट्रंप का दावा – “मैंने युद्ध रुकवाया”
विवाद का सबसे चटपटा बिंदु – अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का दावा:
“मैंने भारत-पाक युद्ध रुकवा दिया।”
इस पर खड़गे और प्रियंका ने सवाल उठाया:
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“अगर युद्ध रोकने की घोषणा अमेरिका से होती है, तो भारत की कूटनीतिक संप्रभुता कहां है?”
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“सरकार चुप क्यों है इसपर?”
अमित शाह ने जवाब दिया:
“10 मई को पाकिस्तान DGMO ने खुद फोन करके युद्धविराम की मांग की। हमने दबाव में नहीं, जीत के बाद युद्ध रोका।”
और कौन से मुद्दे छाए रहे?
विपक्ष द्वारा उठाए गए अन्य मुद्दे:
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बिहार SIR: वोटर लिस्ट की पारदर्शिता पर सवाल।
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मणिपुर में अशांति: राष्ट्रपति शासन की मांग।
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महिलाओं पर अत्याचार: कश्मीर से मणिपुर तक महिलाओं की सुरक्षा पर चिंता।
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नेहरू से लेकर नोटबंदी तक: इतिहास में कांग्रेस की ‘भूलें’ बनाम वर्तमान में जवाबदेही का टकराव।
संसद में रखे गए अहम बिल
आज के एजेंडे में शामिल 8 विधेयक, जिन पर चर्चा या वोटिंग संभावित थी:
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नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल
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नेशनल एंटी-डोपिंग संशोधन
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भू-धरोहर संरक्षण विधेयक
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मणिपुर GST संशोधन बिल
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IIM गुवाहाटी संशोधन बिल
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जन विश्वास विधेयक
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मर्चेंट शिपिंग बिल
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इंडियन पोर्ट्स बिल
राजनीति बनाम राष्ट्रहित
इस चर्चा में तीन परतें साफ दिखीं:
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विपक्ष चाहता है जवाबदेही – आतंकियों की घुसपैठ, खुफिया तंत्र की विफलता और सीजफायर की संप्रभुता पर सवाल।
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सरकार दिखा रही है एक्शन – ऑपरेशन सिंदूर, ऑपरेशन महादेव और पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर बेनकाब करने का दावा।
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जनता चाहती है सुरक्षा और सच्चाई – न भाषणों से पेट भरता है, न स्कोर कार्ड से जान बचती है।
“जब आतंकवादी गोली चलाते हैं, संसद में भाषण चल पड़ते हैं। फर्क इतना है — एक जान लेता है, दूसरा ज़िम्मेदारी से भाग जाता है।”
मानसून सत्र 2025 का सातवां दिन एक रणभूमि में तब्दील हो गया — जहां शब्द हथियार थे और भावनाएं बारूद। सवाल उठते रहेंगे, पर जवाब अब संसद से ज़्यादा सिस्टम और ज़मीर से चाहिए।
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